रॉकी और रानी की प्रेम कहानी करण जौहर की सात लंबे वर्षों के बाद निर्देशन में वापसी का प्रतीक है ।रॉकी और रानी की प्रेम कहानी धर्मा प्रोडक्शन की एक और लव स्टोरी ड्रामा फ़िल्म है । ये कहना गलत नहीं है कि करण जौहर को लव स्टोरी मे महाराथ हासिल है और वह इसमें कमाल के स्टोरीटेलर हैं । हालांकि, लगभग 2 घंटे और 49 मिनट लंबी रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में रॉकी और रानी के रोमांस के अलावा और भी कई इमोशंस हैं ।
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की सबसे बड़ी यूएसपी इसकी स्टारकास्ट है जिसमें शामिल है- रॉकी के किरदार में रणवीर सिंह, रानी के किरदार में आलिया भट्ट के अलावा फ़िल्म में और तीन दिग्गज कलाकार हैं धर्मेंद्र, जया बच्चन और शबाना आज़मी । स्टारकास्ट के बाद आती है फ़िल्म की कहानी की बारी और इसमें भी करण जौहर की फ़िल्म निराश नहीं करती है । जैसा कि पहले मैंने कहा कि करण जौहर कमाल के स्टोरीटेलर हैं और ये फ़िल्म में कई जगह देखने को मिलती है ।
अब बात करतें हैं फ़िल्म की कहानी की जो बिना स्पॉइलर के कुछ इस प्रकार है- रॉकी रंधावा [रणवीर सिंह] और रानी चटर्जी [आलिया भट्ट] एक-दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें अच्छे से पता है उनके परिवारों से उनके प्यार को मंजूरी मिलना इतना भी आसान नहीं है । लेकिन वह हार नहीं मानते और एक दूसरे के घर को एक्सचेंज करने का फ़ैसला करते हैं यानि रॉकी रानी के परिवार के साथ उसके घर में रहेगा, और रानी रॉकी के महलनुमा हवेली में उसके परिवार का दिल जीतने जाएगी । इसके अलावा फ़िल्म में एक और सबप्लॉट भी चलता है उसका खुलासा हम यहां नहीं कर रहे हैं ।
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी लिखना और एग्जिक्यूट करना इतना भी आसान नहीं है । करण जौहर के निर्देशन को देख पता चलता है कि उन्होंने समय के अनुसार खुद को काफ़ी विकसित किया है । और ये उनकी स्क्रीनराइटिंग में देखने को मिलता है । फ़िल्म की कहानी काफ़ी प्रोग्रेसिव है और सामाजिक मुद्दों को दर्शाती है । साथ ही महिला सशक्तिकरण को भी । इसके अलावा, करण जौहर को अच्छे से पता है कि स्क्रीन पर इमोशंस को कैसे दिखाना है और यह फ़िल्म की तीसरी यूएसपी है ।
यह देखना दिलचस्प है कि फ़िल्म की फ़ीमेल स्टारकास्ट- आलिया, जया बच्चन, शबाना आज़मी, चुन्नी गांगुली, क्षिती जोग फ़िल्म का सेंटर प्वाइंट बनती हैं । हालांकि मेल स्टारकास्ट- रणवीर, धर्मेंद्र, आमिर बशीर, तोता रॉय चौधरी भी कहानी का अभिन्न अंग हैं, लेकिन महिलाओं से जुड़े नाटकीय क्षण और उनके द्वारा कही गई कुछ पंक्तियाँ निश्चित रूप से प्रभाव छोड़ेंगी ।
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी एक कुशल कहानीकार की छाप रखती है, जिसमें करण फ़िल्म को आगे बढ़ाने के लिए आजमाए और परखे हुए रोम-कॉम टेम्पलेट से बचते हैं। उदाहरण के लिए, कहानी में कालातीत ट्रैक का एकीकरण बहुत फ़्रेश है । साथ ही, 'ढिंढोरा बाजे रे' से पहले का नाटकीय मोड़ और उसके बाद होने वाली तीखी बहस भी शानदार है ।
लेखन [इशिता मोइत्रा, शशांक खेतान, सुमित रॉय] किसी भी स्तर पर औसत दर्जे का शिकार नहीं होता है । इसमें ड्रामा, इमोशंस और रोमांस को सहजता से शामिल किया गया है । डायलॉग्स [इशिता मोइत्रा] का विशेष उल्लेख करना चाहूंगा, जो दृश्यों को खूबसूरती से प्रस्तुत करता है । डीओपी मानुष नंदन कुछ शानदार फ्रेम बनाते हैं और फ़िल्म के ग्रैंड स्कैल के साथ पूरा न्याय करते हैं ।
फ़िल्म की कमी की बात करें तो हर किसी को लगेगा कि करण जौहर और उनके एडिटर [नितिन बैद] को फ़िल्म का रन टाइम कंट्रोल में रखना चाहिए था और इसे 2.30 घंटे से ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना चाहिए था ।
साउंडट्रैक [प्रीतम] आकर्षक और जोशीला है । 'तुम क्या मिले' की शेल्फ लाइफ काफी लंबी है, जबकि 'व्हाट झुमका?' इंस्टा रील्स पर पहले से ही लोकप्रिय है । 'ढिंढोरा बाजे रे' - अपनी नाटकीय रिलीज से कुछ दिन पहले रिलीज हुआ है । लेकिन जब आप फिल्म देखेंगे और फ़िल्म की कहानी में इसकी प्रासंगिकता का एहसास करेंगे तो यह निश्चित रूप से लोकप्रियता चार्ट पर चढ़ जाएगा ।
अभिनेताओं का चयन बेमिसाल है । रणवीर सिंह अपने रोल में शानदार लगते हैं और ऐसा लगता है कि ये रोल सिर्फ़ उनके लिए ही बना है । हां मैं यह मानता हूं कि, उन्होंने इससे पहले भी नॉर्थ इंडियन लड़के का किरदार निभाया है अपनी पहली फ़िल्म बैंड बाजा बारात में लेकिन इसमें आप उन्हें फ़िर से वही किरदार निभाते हुए देखने के लिए कोई शिकायत नहीं करोगे । वह अपनी टूटी-फ़ूटी इंग्लिश से सभी को हंसाते हैं लेकिन इमोशनल सीन्स में वह छा जाते हैं ।
आलिया भट्ट शानदार फॉर्म में हैं । उनका आत्मविश्वास - विशेषकर जया बच्चन के साथ वाले सीन्स में काबिल्तारिफ़ है । और प्री-क्लाइमेक्स में जो धमका होता है, वह ब्राउनी प्वाइंट का हकदार है । साथ ही उनकी बंगाली बोली भी उन्हें खूब तारीफ दिलाएगी । आलिया ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह अपनी खुद की लीग में नंबर वन हैं । इसके अलावा, रणवीर के साथ उनकी केमिस्ट्री बहुत अच्छी लगती है ।
दिग्गज कलाकारों की बात करें तो, सभी अपने-अपने हिस्से में छाप छोड़ते हैं । धर्मेंद्र बहुत अच्छे लगते हैं, एक अंतराल के बाद उन्हें बड़े पर्दे पर देखना बहुत अच्छा लगता है। जया बच्चन इलेक्ट्रीफ़ाइंग हैं । उनकी प्रभावशाली उपस्थिति, अधिकारपूर्ण रवैया और शांत निगाहें - यह एक असाधारण अभिनय का प्रतीक है जिसके बारे में फिल्म देखने वालों द्वारा निश्चित रूप से बात की जाएगी । शबाना आज़मी शानदार लगती हैं, किसी भी क्रम में अतिरेक किए बिना नियंत्रित प्रदर्शन करती हैं ।
आमिर बशीर और क्षिति जोग [रणवीर के माता-पिता] और तोता रॉय चौधरी और चूर्णी गांगुली [आलिया के माता-पिता] अपने-अपने किरदार में उत्कृष्ट हैं । दो मौकों पर तोता रॉय चौधरी के सुंदर नृत्य और एक स्टोर में चूर्णी गांगुली के सीक्वंस का विशेष उल्लेख बनता है ।
कुल मिलाकर, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी एक अच्छी तरह से पैक की गई मनोरंजक फिल्म है जिसमें युवाओं के साथ-साथ परिवारों को आकर्षित करने में भी जरूर कामयाब होगी । बॉक्स-ऑफिस पर यह ब्लॉकबस्टर होने की क्षमता रखती है ।