फ़िल्म :- जिगरा
कलाकार :- आलिया भट्ट, वेदांग रैना
निर्देशक :- वासन बाला
रेटिंग :- 2.5/5 स्टार्स
संक्षिप्त में जिगरा की कहानी :-
जिगरा एक निडर बहन की कहानी है । सत्या (आलिया भट्ट) और अंकुर (वेदांग रैना) अनाथ हैं। अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद, उनकी देखभाल श्री मेहतानी (आकाशदीप साबिर) और उनके परिवार द्वारा की जाती है, जो उनके दूर के रिश्तेदार हैं। सत्या उनके साथ काम करती है और उनके दिन-प्रतिदिन के कामों को संभालती है। अंकुर और मेहतानी का बेटा कबीर (आदित्य नंदा) दोस्त हैं और एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। हंशी दाओ देश में एक क्लाइंट (सिकंदर खेर) उनके वेंचर में रुचि व्यक्त करता है। इस प्रकार, अंकुर और कबीर हंशी दाओ की यात्रा करते हैं। उनकी मुलाकात सफल होती है लेकिन उसी दिन, पुलिस द्वारा कबीर के कब्जे में ड्रग्स पाए जाने के बाद वे गिरफ्तार हो जाते हैं। मेहतानी परिवार जल्दी से अपने वकील जसवंत (हर्ष सिंह) को हंशी देव के पास भेजता है। उस देश के कानून के अनुसार, ड्रग रखने पर मौत की सजा होती है। जसवंत कबीर को अधिकारियों के सामने यह दावा करने के लिए राजी करता है कि यह अंकुर था जो ड्रग्स ले जा रहा था न कि वह। अंकुर भी यही बात कबूल करता है और आश्वासन देता है कि कुछ महीनों में उसे रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन अंकुर को मौत की सज़ा सुनाई जाती है। सत्या जल्दी से हंशी दाओ जाती है और अपने भाई को किसी भी कीमत पर बाहर निकालने का दृढ़ निश्चय करती है। वहाँ उसे भूतपूर्व गैंगस्टर शेखर भाटिया (मनोज पाहवा) और भूतपूर्व पुलिस अधिकारी मुथु (राहुल रविन्द्रन) से मदद मिलती है। आगे क्या होता है, यह पूरी फ़िल्म में दिखाया गया है।
जिगरा मूवी स्टोरी रिव्यू :
देबाशीष इरेंगबाम और वासन बाला की कहानी में संभावनाएँ हैं। देबाशीष इरेंगबाम और वासन बाला की पटकथा आकर्षक है, लेकिन इसमें कुछ कमियाँ भी हैं। देबाशीष इरेंगबाम और वासन बाला के डायलॉग्स यथार्थवादी हैं।
वासन बाला का निर्देशन अच्छा है। मर्द को दर्द नहीं होता [2019] और मोनिका ओ माय डार्लिंग [2022] के साथ, उन्होंने साबित कर दिया है कि वे कुछ दृश्यों को स्टाइलिश तरीके से निभा सकते हैं और उनका प्रभाव बढ़ा सकते हैं। जिगरा भी अपवाद नहीं हैं। उन्होंने क्लाइमेक्स में स्लो-मो इफ़ेक्ट का खूबसूरती से इस्तेमाल किया है (छत से कूदने वाले सीन पर ध्यान दें)। सत्या की दुर्दशा से भी दर्शक इमोशनल हो जाते हैं और फिल्म के ज़्यादातर हिस्सों में दर्शक उसके लिए उत्साहित होंगे । इंटरमिशन पॉइंट को स्टाइलिश तरीके से काटा गया है और यह अप्रत्याशित है।
वहीं कमियों की बात करें तो सेकेंड हाफ़ कमज़ोर है। सत्या और मुथु के बीच टकराव के बाद फिल्म बिखर जाती है। इस बिंदु पर, सत्या के लिए सम्मान खत्म हो जाता है। मुथु, आखिरकार, गलत नहीं है, लेकिन सत्या की हरकतें उसे एक मनोरोगी की तरह दिखाती हैं । समापन सिनेमाई स्वतंत्रता से भरा है । यह ठीक है क्योंकि अधिकांश फिल्मों में ऐसा होगा। लेकिन जिगरा को वास्तविक टच दिया गया है। इसलिए, फ़िल्म का ऐक्ज़िक्यूशन और विषय-वस्तु मेल नहीं खाती ।
एक्टिंग :-
हालांकि, आलिया भट्ट ने फिल्म को दिल और आत्मा से निभाया है। वह सुनिश्चित करती है कि सत्या किसी ऐसे इंसान की तरह दिखे जो किसी भी हद तक जा सकती है और किसी से भी लड़ सकती है। वह इमोशनल सीन्स में भी शाईन करती है । उस दृश्य में आलिया देखने लायक़ हैं जहां वह पहली बार जेल जाती है। वेदांग रैना एक बड़ी छाप छोड़ते हैं और साबित करते हैं कि उनका भविष्य उज्ज्वल है। मनोज पाहवा हमेशा की तरह भरोसेमंद हैं और गंभीर फिल्म में कुछ हास्य भी जोड़ते हैं। राहुल रविंद्रन एक बेहतरीन खोज हैं और अंकुर खन्ना (रयान) के लिए भी यही बात लागू होती है। विवेक गोम्बर (ओआईसी हंसराज लांडा) शानदार हैं और उच्चारण भी बेहतरीन ढंग से करते हैं। आकाशदीप साबिर, हर्ष सिंह और आदित्य नंदा अच्छे हैं। आकांक्षा रंजन कपूर और सिकंदर खेर का कैमियो ठीक-ठाक है। राधिका मदान और अभिमन्यु दसानी भी फिल्म में पलक झपकते ही भूमिका निभाते हैं।
जिगरा मूवी का संगीत और अन्य तकनीकी पहलू :
अचिंत ठक्कर का संगीत फिल्म में अच्छा काम करता है। 'फूलों का तारों का' अच्छी तरह से रचा गया है, जबकि 'तेनु संग रखना' में भूतिया एहसास है। शीर्षक गीत भावपूर्ण है, और 'पैन इंडिया एरिया किंग' फंकी है। अचिंत ठक्कर के बैकग्राउंड स्कोर में सिनेमाई एहसास है।
स्वप्निल एस सोनवणे की सिनेमैटोग्राफी शानदार है, और क्लोज शॉट्स अच्छी तरह से शूट किए गए हैं। मुकुंद गुप्ता का प्रोडक्शन डिजाइन बेहतरीन है । वीरा कपूर ई की वेशभूषा और विक्रम दहिया का एक्शन यथार्थवादी है। प्रेरणा सैगल की एडिटिंग और बेहतर हो सकती थी ।
क्यों देंखे जिगरा :-
कुल मिलाकर, जिगरा कुछ इमोशनल क्षणों और आलिया भट्ट के दमदार अभिनय पर टिकी हुई है। लेकिन कमजोर सेकेंड हाफ और बेमेल डायरेक्शन और कंटेंट मज़ा ख़राब कर देता है । बॉक्स ऑफिस पर, यह संघर्ष कर सकती है ।