आमिर खान की बेहतरीन फिल्मों की लिस्ट में रंगीला का नाम भी शामिल है जिसे आज रिलीज हुए 28 साल पूरे हो गए है। वैसे तो सालों से आमिर ने कई विविध भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें से हर एक किरदार के लिए उन्होंने पूरी शिद्दत मेहनत की। ऐसा ही एक प्रतिष्ठित किरदार राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित कल्ट क्लासिक 'रंगीला' में मुन्ना का था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस भूमिका को परफेक्ट बनाने के लिए आमिर ने किस हद तक कोशिश की थी? अगर नही तो हम आपको बताएंगे ।

28 साल पहले रिलीज हुई रंगीला में एक परफेक्ट टपोरी बनने के लिए आमिऱ खान ने रियल लाइफ टपोरियों के साथ बिताया समय ; झुग्गी-बस्तियों में जाकर उनके तौर-तरीके, भाषा और लाइफस्टाइल को करीब से जाना

आमिर खान की रंगीला के 28 साल पूरे हुए

जैसा कि हम एवरग्रीन फिल्म की सालगिरह का जश्न मना रहे हैं, यह आमिर खान के सबसे यादगार किरदरों में से एक मुन्ना के रूप में उनके उल्लेखनीय ट्रांसफॉर्मेशन को फिर से देखने का सही समय है और कैसे वह आसानी से मुंबई बेस्ड टपोरी की भूमिका में आ गए ।

 टपोरियों की दुनिया में डूब गए

अपनी कला के प्रति आमिर खान की कमिटमेंट के क्या कहने, और 'रंगीला' इसी कमिटमेंट का सबूत है । एक स्ट्रीट-स्मार्ट और तेजतर्रार टपोरी मुन्ना के रूप में अपनी भूमिका की तैयारी के लिए, आमिर ने केवल स्क्रिप्ट और रिहर्सल पर भरोसा नहीं किया। उन्होंने इसके लिए सारी हदें पार कर दी। आमिर ने वाकई मुंबई की स्लम बस्तियों में जाकर वहां के कल्चर को समझा, वक्त बिताया। वह रियल लाइफ टपोरियों के साथ घुलमिल गए और उनके तौर-तरीकों, भाषा और लाइफस्टाइल को करीब से देखा । यह केवल डायलॉग्स में महारत हासिल करने के बारे में नहीं था, बल्कि उस किरदार के मूल सार को समझने के बारे में भी था जिसे वह निभाने वाले थें ।

उच्चारण में महारथ हासिल की

रंगीला में आमिर खान के प्रदर्शन का सबसे खास पहलू उनका परफेक्ट मुंबइया टपोरी डिक्शन था । वह नहीं चाहते थे कि उनके किरदार के डायलॉग रिहर्सल किये गये या बनावटी लगें । इसके बजाय, उन्होंने प्रामाणिकता का लक्ष्य रखा और उनकी कोशिश रंग लाई । मुन्ना के डायलॉग नैचुरल लगे, मानो वह खुद मुंबई की सड़कों पर बड़ा हुआ हो ।

बॉडी लैंगुएज में परफेक्शन हासिल करना

आमिर का मुन्ना का किरदार सिर्फ डायलॉग डिलीवरी तक ही सीमित नहीं था, यह उसकी शारीरिक भाषा के बारे में भी था । उन्होंने उस स्वैग, आत्मविश्वास और आकर्षण की नकल करने के लिए अथक कोशिश की जो एक टपोरी को परिभाषित करता है । जिस तरह से वह चलते थे, बात करते थे और खुद को स्क्रीन पर पेश करते थे वह इस भूमिका के प्रति उनके समर्पण की मिशाल था ।

आश्वस्त करने वाला मुन्ना

जब रंगीला सिल्वर स्क्रीन पर आई, तो दर्शकों को एक ऐसा किरदार मिला जो अविश्वसनीय रूप से वास्तविक लगा। आमिर खान का मुन्ना का किरदार इतना प्रभावशाली था कि इसने रील और रियल के बीच की रेखाओं को मिटा दिया । एक टपोरी के रूप में उन्होंने परफेक्टली खुद को बदल लिया था, और जिसके प्रति उनके समर्पण से सभी हैरान रह गए थे।

एक टाइमलेस किरदार

इतने सालों बाद भी मुन्ना बॉलीवुड प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ हैं । इस फिल्म में आमिर खान का अभिनय एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण है । टपोरी की विचित्रता से लेकर उसकी भावनात्मक गहराई तक, आमिर ने सब कुछ कुशलता से जीवंत कर दिया।

रंगीला के लगभग तीन दशक हो गए हैं, लेकिन आमिर खान के परफेक्शन की तारीफ आज तक की जाती हैं । मुन्ना का उनका रोल सिर्फ एक फिल्म में एक किरदार नहीं था, यह अभिनय में मास्टरक्लास था । मुंबई टपोरी के सार को समझने, अपनाने और दर्शाने के लिए उन्होंने जो समर्पण दिखाया, वह इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि आमिर खान को बॉलीवुड का परफेक्शनिस्ट क्यों कहा जाता हैं ।