फ़िल्म समीक्षा : बाहुबली: द कन्क्लूजन

Apr 28, 2017 - 10:50 hrs IST
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हर कोई एक सवाल का जवाब जानने के लिए उत्सुक है : कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? हम इस पर अनुमान लगा सकते हैं और विभिन्न वर्जन और थ्यौरी पेश कर सकते हैं, लेकिन असलियत में, मुझे नहीं लगता कि किसी भी सिनेप्रेमी को इस बात की भनक भी लगी थी एस एस राजमौली, जो एक बेहद कुशल कथाकार हैं, ने अपनी बाहुबली की पहली किश्त को ऐसे रहस्य के साथ छोड़ा जो कि चर्चा का विषय बन गया ।

मुझे भी यकीन है, कि राजमौली ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि ये सवाल- कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? पूरी दुनिया में सिनेप्रेमियों द्दारा एक थीसिस, ब्लॉग्स और मेम्स को बनाने के लिए प्रेरित करेगा । हकीकत में, बाहुबली, भल्लाल देव और कटप्पा जैसे प्रतिष्ठित किरदारों ने- फ़िल्म देखने वाले दर्शकों के ध्यान को खींचा है जैसा कि अतीत में किसी भी फ़िल्मी किरदार ने नहीं खींचा ।

वर्तमान की बात करें तो…आखिरकार इंतजार खत्म हुआ ! बाहुबली-2 आज भव्य स्तर पर देश भर में रिलीज हुई है । फ़िल्म के लिए उत्साह जगजाहिर है । इस समापन किश्त के लिए ढेर सारी जिज्ञासा है । परिणामस्वरूप, फिल्मों के कैनवास की अपेक्षाओं की अपेक्षाएं - बहुत बड़ी हैं ।

क्या बाहुबली -2 उन गगनचुम्बी उम्मीदों पर निर्भर है ? क्या इसका दूसरा भाग इसके पहले भाग से बेहतर है ? बहुप्रतिक्षित फ़िल्म के अद्वितीय/बेमिसाल प्रचार, इसके अनिवार्य सवाल के साथ एक फ़िल्म के रूप में बॉक्सऑफ़िस पर क्या बाहुबली-2 नए मानक सेट करेगी ?

अब मैं मुद्दे की बात पर आता हूं । बाहुबली-2 एक आनंद देने वाली फ़िल्म है जिसके लिए आप कभी न खत्म होने की कामना करते हो । मैंने किसी भी मनोंरंजन का इतना आनंद नहीं लिया जितना कि इस फ़िल्म का आनंद लिया । एक फिल्म के रूप में, मैंने तेलुगू फिल्मों में राजमौली के काम के तरीके को सराहा है और एक कथाकार के रूप में उनकी दिलेरी/कौशल की प्रशंसा की है । बाहुबली-2 के बाद यह उनके लिए सम्मान और प्रशस्ति भी है । यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी स्क्रीन पर आपने पहले कभी ऐसी फ़िल्म नहीं देखी है । इसके अलावा, एक सिनेमाई अनुभव के रूप में, बाहुबली-2 विशाल कदम बढ़ाते हुए भारतीय सिनेमा को उच्च स्तर पर ले जाती है…ऊपर और ऊपर ।

शानदार और भव्य नजारे को बड़ी स्क्रीन पर दिखाने के लिए दूरदर्शिता, हिम्मत, दृष्टि और निस्सन्देह बहुत बड़ी रकम की आवश्यकता है । और राजमौली इसे निष्पादित करने के लिए अपनी शक्ति और उपयुक्तताओं को इस्तेमाल करते हैं जो कि बहुसंख्य कथाकार केवल इस बारे में बात कर सकते हैं या का सपना देख सकते हैं । मुझे ये बताने दो कि, बाहुबली-2 न केवल दिल को ठंडक देने वाला आकर्षक अनुभव है बल्कि, बेहद खूबसूरती से बनाई गई फ़िल्म है जो आपको अपनी दुनिया में ले जाती है ।

बाहुबली-2 आपको महिष्मति साम्राज्य में वापस लेकर जाती है और उन कारणों को सामने लाती है जिसने बाहुबली [प्रभास] और भल्लाल देव [राणा दग्गुबत्ती] के बीच विवाद को उकसाया । यह समापन भाग को खत्म करने के लिए लड़ाई है । क्या बाहुबली का पुत्र शिवा, अत्याचारी और विश्वासघाती भल्लाल देव के विरुद्ध सफल हो पाएगा ? क्या वह अपने राज्य का को फ़िर से हासिल कर पाएगा जिसे भल्ला देव ने उसके परिवार से छीन लिया था ? भल्लाल देव ने इन वर्षों में देवसना [अनुष्का शेट्टी] को कैद क्यों रखा ? अंत में, बेशकीमती प्रश्न: कट्टप्पा [सत्यराज] ने बाहुबली को क्यों मार दिया ?

उत्सवीय स्वागत करो...

शंखनाद करो...

ढोल-नगाड़े बजाओ…

यह जश्न मनाने का वक्त है और मैं आपको बताऊंगा क्यों !

कागजों पर, फ़िल्म का प्लॉट इतिहास, पौराणिक कथाओं और हास्य पुस्तकें से प्रेरित लग सकता है, जो कि हम अपने बढ़ते हुए वर्षों में पढ़ चुके हैं । लेकिन जब इसके अंदर जाएंगे तो आपको महसूस होगा कि राजमौली ने इसके इर्द-गिर्द पूरी तरह से एक नई कहानी को बुना है और पुरानी कहावत सही साबित होती है-अंत में अच्छाई की जीत होती है ।

राजामौली अपने कंधों पर भारी बोझ लेकर चलते है: वह जानते है कि बाहुबली के दोनों भागों के बीच की तुलना होनी ही होनी है । इसके दूसरे भाग को इसके पहले भाग से भी बड़ा [कैनवास, वीएफएक्स] और बेहतर [मनोरंजन भाग] होना पड़ेगा । यह वास्तव में एक कठिन चुनौती है । और बाहुबली -2 ये सबित कर देती है !

बाहुबली -2 भारतीय तत्त्वों में निहित है [कहानी: के.वी. विजेंद्र प्रसाद], लेकिन फ़िर भी इस ड्रामा को विस्मयकारी प्रेरक सीक्वंस और हैरान कर देने वाले दृश्यों से सजाया गया है । पटकथा लेखन में रोमांस के बीच हिचकिचाहट, हाई-वोल्टेज ड्रामा, तनाव भरे टकराव बेहद चमकीले ढंग से फ़िल्माए गए हैं और शानदार ढंग से तैयार किए गए एक्शन सीक्वंस, सिनेप्रेमियों की बुद्धिमत्ता का जरा भी अपमान नहीं करते हैं । फ़िल्म का कंटेट देशी है लेकिन इसे अंतर्राष्ट्रीय तरीके से पेश किया गया है, जो हॉलीवुड फ़िल्म का फ़ील देती है ।

ठीक है, मैं मिलियन डॉलर सवाल 'कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मार दिया?' का जवाब देकर फ़िल्म का मजा करने वाला नहीं हूं । लेकिन, मैं इतना कहना चाहूंगा कि पूरा ट्रैक बस शानदार है !

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाहुबली -2 एस एस राजमौली की अब तक की सबसे सफल कोशिश है । उनके सबजेक्ट की पसंद पिछले कुछ वर्षों में विविधतापूर्ण रही है, लेकिन बाहुबली-2 वास्तव में महंगी मनोरंजक फ़िल्म है जो आपको इसकी दमदार कहानी कहने की कला व सूक्ष्म वर्णन से विस्मयाभिभूत कर देती है । कोई निराशजनक पल ? हिंदी साउंडट्रैक और भी बेहतर हो सकता था, लेकिन ये बहुत छोटी बात है । इसके अलावा, कई जगहों पर एडिटिंग और भी ज्यादा अच्छी हो सकती थी ।

सांस रुका देने वाले, सामान्य से बड़े दृश्य [डीओपी: के.के. सेंथिल कुमार], भव्य और भव्य उत्पादन डिजाइन [सबु सिरिल] और आश्चर्यजनक विजुअल इफ़ेक्ट्स इसे जीवंतता और चमक प्रदान करते हैं । और इसके एक्शन सीन पर्याप्तरूप से आनंददायक पल प्रदान करते हैं और मुझे यह कहना चाहिए, यह इन्हें दोहराने का आदेश देते है यानी वंस मोर की फ़िलींग देते है ।

बाहुबली-2 बेहतरीन और कुशल कलाकारों के दमदार प्रदर्शन से सजी हुई है । जैसा कि मैं कह चुका हूं, कि सभी की नजरें लगातार फ़िल्म के नायक और शत्रु पर टिकी हुईं रहती हैं । जब दो पेशेवर लड़ाका, एक दूसरे से टकराते हैं तब आप तनाव को महसूस कर सकते हैं । प्रभास बेहद दमदार लगते हैं और अपने दोनों किरदारों को बखूबी निभाते हैं । उनकी निर्विवाद उपस्थिति और मनोहर एक्ट इस फ़िल्म को और भी ज्यादा प्रभावशाली और भव्य बनाते हैं । राणा दग्गूबाती पूरी शिद्दत के साथ खतरनाक, अतिक्रूर लगते हैं । उनका शारीरिक परिवर्तन - जो उनके किरदार के लिए जरूरी है- उन्हें शक्तिशाली और अविचल दिखने वाला बनाता है ।

अनुष्का शेट्टी अपने किरदार में शिद्दत, वीरता और शक्ति का निवेश करती है और जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब होती हैं । इस बार तमन्ना को सीमित स्क्रीन स्पेस मिला है । राम्या कृष्णन काफ़ी वैभवशाली नजर आती हैं और रानी मां शिवगामी के रूप में बेहद आकर्षक लगती हैं । सत्यराज अपनी शक्ति को दिखाने के लिए अपनी भेदी की आंखों का उपयोग करते हैं और जिसे वह हर सीक्वेंस में आत्मसात कर लेते हैं । नासर निर्दयतापूर्वक चालाक है और अपने हर एक्ट में छा जाते हैं ।सुब्बाराजू, जो कुमार के किरदार में निश्चित तौर पर काफ़ी सराहनीय लगे

कुल मिलाकर, बाहुबली फ़्रेंचाइजी अपने आप में बहुत ही सफ़लतापूर्वक बनाई गई है और कुछ अविश्वसनीय किरदार ऐसे हैं जो निश्चितरूप से आपके साथ लंबे, लंबे समय तक रहने वाले हैं । विशेषरूप से बाहुबली 2 की बात करें तो, सिनेप्रेमियों के लिए यह फ़िल्म एक तोहफ़ा है और इसकी भव्यता सभी पीढ़ियों को अपना प्रंशसक बना लेती है । निश्चितरूप से यह फ़िल्म बॉक्सऑफ़िस के सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ डालेगी और एक नया इतिहास रचेगी । इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए कि यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा की सबसे बड़े मुनाफ़े के रूप में उभरेगी । पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण... बाहुबली -2 एक आंधी के समान है जो बॉक्सऑफ़िस के नुकसान को भर देगी और एक सशक्त मनोरंजक फ़िल्म बनाने के तरीके के बारें में पाठ्यपुस्तक में अपनी जगह बनाने में कामयाब होगी ।

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