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बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में हैं जो भारत-पाकिस्तान युद्द पर आधारित हैं । हालांकि, बॉलीवुड में ब-मुश्किल ऐसे विषय पर फ़िल्म बनाई गई है जहां भारतीय नौसेना को शामिल किया और दोनों देशों के बीच पानी के नीचे पनडुब्बी युद्ध के बारे में फ़िल्म बनाई गई हो । इस हफ़्ते बॉक्सऑफ़िस पर रिलीज हुई (द्विभाषी) फ़िल्म द गाजी अटैक, जो अनूठी अज्ञात वास्तविक जीवन की घटना पर आधारित है । क्या यह फ़िल्म बॉक्सऑफ़िस पर अपने सफ़लता के रास्ते को पार कर जाएगी या फ़िर यह बिना किसी नामोंनिशान के डूब जाएगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

द गाजी अटैक की कहानी (संकल्प रेड्डी) 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 'पीएनएस गाजी' की रहस्यमय तरीके से डूबने पर आधारित है । फ़िल्म की शुरूआत होती है अमिताभ बच्चन की बेहतरीन ढंग से मनोहर मध्यम आवाज़ के वॉइसओवर के साथ, जो फ़िल्म की कहानी पर प्रकाश डालते हैं । भारतीय नौसेना द्दारा भारत पर एक सरप्राइज हमला करने के बारे में पाकिस्तान की नौसेना द्वारा एक गुप्त संदेश डीकोड करने के बाद, भारतीय नौसेना अधिकारी स्थिति के बारे में बहुत सतर्क हो जाते हैं । उस हमले से संघर्ष करने के लिए, वे भारत के पनडुब्बी S21 का नेतृत्व करने के लिए तीन अधिकारियों की एक टीम की भर्ती करते हैं । ये तिकड़ी, विशाल पानी के अंदर टोह लेने के लिए एक मिशन पर जाती है । और इस मिशन के लिए जिन तीन अधिकारियों को चुना जाता है वो हैं लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा(राणा दग्गुबाती), कप्तान रणविजय सिंह (केके मेनन) और कार्यकारी अधिकारी देवराज (अतुल कुलकर्णी) । जहां एक तरफ़,लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा, हमेशा कर्तव्य पालन करने वाला अधिकारी होता है वहीं दूसरी तरफ़,कप्तान रणविजय सिंह, जो कि सबसे अनुभवी और तीनों में सबसे ज्यादा सीनियर होता है, अपने नियम खुद बनाता है और कुछ करने के लिए किसी ऑर्डर का इंतजार करना पसंद नहीं करता है । वहीं दूसरी तरफ़, कार्यकारी अधिकारी देवराज, जो ये अच्छी तरह जानता है कि कब और किस समय किस का आदेश मानना है । S21 पर सवार अधिकारियों को महज मुआयना करने के लिए भेजा जाता है, और थोड़ी सी जांच-पड़ताल में वे जान जाते हैं कि उन्हें पाकिस्तान की सबसे सजाई गई पनडुब्बी 'पीएनएस गाजी' है, जो भारत के प्रतिष्ठित 'आईएनएस विक्रांत' को नष्ट करने के लिए भारतीय जल में उतारी जाती है, के साथ लड़ना होगा । 'पीएनएस गाजी' 'S21' पर चालक दल को विचलित करने के लिए पूर्वी तट पर एक भारतीय व्यापारी जहाज पर हमला करती है । तभी कप्तान रणविजय सिंह 'पीएनएस गाजी' पर हमला करने का सीधा और बिनासूचित किया हुआ आदेश दे देता है जबकि लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा की कर्तव्य परायणता उसे ऐसा करने से रोकती है । इस प्रकार, दोनों अधिकारियों के बीच झगड़े और अहंकार भरी झड़पें शुरू हो जाती हैं । हमलों की श्रृंखला और पानी के अंदर दोनों पनडुब्बियों के बीच युद्ध का खेल के बाद क्या होता है । क्या S21' पर तैनात भारतीय अधिकारी गाजी अटैक करने में सफ़ल हो पाते हैं और पाकिस्तानी पनडुब्बी को हराने में सक्षम हो जाते हैं या वे शत्रुओं के सामने घुटने टेक देते हैं यह सब कुछ फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

द गाजी अटैक फ़िल्म के प्रोमो ने फ़िल्म के प्लॉट के बारें में एक आइडिया दे दिया था । फ़िल्म की पटकथा (संकल्प रेड्डी,गंगाराजु गुन्नाम, निरंजन रेड्डी) एकदम कसी हुई है और इसकी अच्छी तरह से छानबीन की गई स्क्रिप्ट बेहद आकर्षक और बांधे रखने वाली है और यह दर्शकों को अंत तक सीट से चिपकने के लिए मजबूर कर देती है । इस फ़िल्म की खास बात यह है कि यह फ़िल्म ज्यादातर एक पनडुब्बी के अंदर दर्शायी गई है, फिल्म के लेखन और निष्पादन की सराहना करनी पड़ेगी जो कि निस्संदेह फिल्म के सबसे कठिन पहलुओं में से एक के रूप में सामने आता है । इसके अलावा, कहानीका पर्दाफाश करने के लिए किया गया होमवर्क अत्यंत सराहनीय और उल्लेखनीय है । फिल्म के संवाद (आजाद आलम) अच्छे हैं ।

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द गाजी अटैक, संकल्प रेड्डी की एक निर्देशक के रूप में पहली फ़िल्म है और इस नाते, वह एक बेहतरीन फ़िल्ममेकर के रूप में उभरे हैं । जिस तरह से उन्होंने फिल्म की शूटिंग की है वह बेहद पेचीदा और आकर्षक है । सही शब्दों में कहा जाए तो, उन्होंने, द गाजी अटैक के रूप वाकई अत्यधिक उत्तेजित करने वाली/सीट से चिपकने वाली एक थ्रिलर फ़िल्म बनाई है । फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ न केवल फ़िल्म के मुख्य किरदारों को स्थापित करता है बल्कि नौसेना तकनीक के संचालन की जानकारी भी देता है । हालांकि फ़िल्म का सेकेंड हाफ़, जहां फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है, संकल्प के लिए फ़िल्म के कथानक को साधारण और सटीक बनाने के लिए तोहफ़े के समान है । फ़िल्ममेकर के रूप में संकल्प ने इस बात का ध्यान रखा है कि फ़िल्म में कहीं भी कोई नीरस क्षण न आएं । फिल्म में कुछ क्षण, जब पाकिस्तानी नौसेना भारतीय पनडुब्बी पर हमला कर देती है या राणा का अपने चालक दल को प्रेरणादायक भाषण देना, रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं और निर्देशक की असली प्रतिभा को दर्शाते हैं । इसके अलावा कुछ और सीन जहां निर्देशक पलों को और भी अधिक नाटकिय बना सकता था । इसके अलावा उन्होंने फ़िल्म की कहानी में आए कुछ महत्वपूर्ण ट्विस्ट को खुलकर नहीं समझाया जैसे, जब राणा तापसी को बचाने जाता है और समय भागता है, तापसी का छोटी लड़की के साथ रिलेशन, और S21 पर संचार प्रणाली का टूटना । कुल मिलाकर, उन्होंने बहुत ही बेहतरीन ढंग से एक चुनौतीपूर्ण कहानी को दर्शाया है ।

जब हम अभिनय की बात करते हैं तो, इस फ़िल्म में किसी एक कलाकार के बारें में कहना थोड़ा मुश्किल है और यह अनुचित भी होगा क्योंकि यह फ़िल्म कई प्रतिभाओं का एक संयुक्त प्रयास है । यह फ़िल्म पूर्ण रूप से, त्रुटिहीन तिकड़ी राणा दग्गुबाती, केके मेनन और अतुल कुलकर्णी, जो ठीक शुरूआत से फ़िल्म को अपने मजबूत कंधों परआगे बढ़ाते हैं, की मालकियत है । बाहुबली; द बिगनिंग जैसी सुपरहिट फ़िल्म देने के बाद राणा दग्गुबाती निश्चित रूप से बॉलीवुड में एक ताकत के साथ आगे बढ़ रहे हैं । अपनी वास्तविक कद-काठी को देखते हुए वह लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा, जो लेफ्टिनेंट कमांडर होने के बाद जब जरूरत और स्थिति पैदा होती है तो पूरी पनडुब्बी का चार्ज संभालता है । सीन, जहां वह खुद को असहाय महसूस करते हैं जब भी केके मेनन उन पर भारी पड़ जाते हैं, बहुत उत्कृष्ट हैं । वहीं दूसरी तरफ़, केके मेनन, जो 'अपने नियम खुद बनाने' वाले कैप्टन रणविजय सिंह के किरदार में खूब जंचते हैं । केके मेनन का भावनात्मक पहलू भी बहुत संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया । इनके अलावा, अतुल कुलकर्णी, जो पिछली बार शाहरुख खान अभिनीत फ़िल्म रईस में नजर आए थेm । द गाजी अटैक, में वह एक बेहतरीन अभिनेता के तौर पर उभर कर आए हैं और बॉलीवुड में यह उनकी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है । तापसी पन्नू और दिवंगत ओम पुरी का इस फ़िल्म में बेहद छोटा सा रोल था । पाकिस्तानी नौसेना अधिकारी और 'पीएनएस गाजी' के क्रूर कप्तान की भूमिका में राहुल सिंह ने अपने किरदार के साथ भरपूर न्याय किया । इन सबके अलावा, फ़िल्म में बाकी के कलाकारों की मौजूदगी फ़िल्म में काफ़ी अच्छी तरह से महसूस होती है ।

हालांकि फ़िल्म में संगीत (कृष्ण कुमार उर्फ के) के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन फ़िर भी फ़िल्म का बैकग्राउंड संगीत, जो कि असाधारण है और फ़िल्म के कथानक को आगे बढ़ाने में काफ़ी बड़ी मदद करता है । फिल्म का छायांकन (आर० माधी) काफी अच्छा है । वहीं दूसरी तरफ़, फिल्म का संपादन (ए श्रीकर प्रसाद) कसा हुआ है और बहुत ही सराहनीय है । फिल्म में इस्तेमाल किए गए वीएफएक्स और भी बेहतर हो सकते थे ।

कुल मिलाकर, द गाजी अटैक, बांधे रखने वाला एक मनोरंजक युद्ध ड्रामा है, जो एक आश्चर्यजनक प्रभाव छोड़ता है । बॉक्सऑफ़िस की बात करें तो वहां पर इस फ़िल्म को,फ़िल्म के बारें में मुंह से बोले गए सकारात्मक शब्दों के कारण बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी । निश्चित रूप से, इसे देखना चाहिए ।

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