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साल 2011 में निर्देशक लव रंजन ने अपनी हिट फ़िल्म प्यार का पंचनामा से काफ़ी लोकप्रियता अर्जित की, और इस फ़िल्म में दिखाया गया तीन नए अभिनेताओं-कार्तिक आर्यन, दिव्येंदु शर्मा और रायो एस बखीरता के बीच का ब्रोमांस, सुर्खियां बटोर ले गया । फिल्म की सफलता इस तथ्य पर आधारित थी कि यह एक हल्की-फ़ुल्की, युवा जोश से भरी और महिलाओं व डेटिंग के बारे में मजेदार फ़िल्म थी । और अब, एक बार फ़िर यही फ़िल्ममेकर अपने पसंदीदा कार्तिक आर्यन, सनी सिंह और नुसरत भरूचा के साथ नई और फ़्रेश कहानी के साथ एक नई फ़िल्म लेकर आए हैं- सोनू के टीटू की स्वीटी । जी हां, यह एक प्रेम त्रिकोण पर आधारित फ़िल्म है । सोनू के टीटू की स्वीटी में ब्रोमांस और रोमांस के बीच के क्लैश को मजेदार ढंग से दिखाया गया है । तो क्या यह फ़िल्म दर्शकों को रिझाने में कामयाब होती है, आइए पता लगाते हैं ।

फ़िल्म समीक्षा : सोनू के टीटू की स्वीटी

यह फ़िल्म टीटू (सनी सिंह), जो रोमांस के मामले में बदनसीब है, के इर्द-गिर्द घूमती है । प्रेम का भूखा टीटू आसानी से प्यार की गिरफ़्त में आ जाता है और फ़िर उसका दिल टूट जाता है । सोनू (कार्तिक आर्यन), जो स्ट्रीट स्मार्ट है, उसका उद्धारकर्ता बनता है । वह उसे बुरे साथ और रिलेशनशिप से बाहर निकालता है । इसके बाद टीटू को स्वीटी मिलती है । सोनू, टीटू को स्वीटी (नुसरत भरुचा) से दूर रहने के लिए सलाह देता है । टीटू सोनू की सलाह पर कोई ध्यान नहीं देता है बल्कि उससे कहता कि उसकी मातृ प्रवृत्ति उसे ऐसा करने के लिए कह रही है । यह बताता है कि ये लोग कितनी करीब हैं !

फ़िल्म की कहानी टीटू, स्वीटी, जो उसे रिझाने के लिए हर संभव कोशिश करती है, के प्यार में गिरफ़्त हो जाता है, के इर्द-गिर्द घूमने लगती है । सोनू को शक होता है कि इतना अच्छा कोई नहीं हो सकता जितना स्वीटी दिखाने की कोशिश करती है और वह उसके खिलाफ़ सबूत जुटाने में लग जाता है जो वह उसके खिलाफ़ इस्तेमाल कर सके । वह भी इस चैलेंज को स्वीकार कर लेती है और सोनू के खिलाफ़ एक पूर्ण युद्ध की घोषणा करती है । फ़िल्म का संस्पेंस यही है कि दोनों में से जीत किसकी होती है ? दोस्ती या प्यार या फ़िर कहानी एक अलग ही मोड़ ले लेती है ? मेकर्स हमें सफलतापूर्वक, अपने हीरो और 'खलनायक' के बीच के चूहा-बिल्ली खेल से बांधे रखने में कामयाब होते है ।

बहरहाल इसमें कोई शक नहीं है कि, इस प्रकार की फ़िल्मों के लिए युवा कॉलेज जाने वाले बच्चे ही लक्षित दर्शक है । फिल्म उन्हें निराश नहीं करती है । यह अपने डायलॉग्स और कहानी के साथ एक अच्छा काम करती है ताकि दर्शक इससे लगातार जुड़े रहे । राहुल मोडी और लव द्वारा पंचेज के साथ लिखे गए डायलॉग्स युवा और मजेदार हैं । इसमें बीप्स के साथ इस्तेमाल किए गए कई आपत्तिजनक शब्द हैं, जो कुल मिलाकर फ़िल्म में मस्ती को जोड़ते हैं । कार्तिक के साथ आलोकनाथ की पंच लाइंस बहुत ही ज्यादा मजेदार और हास्यपद है ।

निर्देशक लव रंजन फ़िल्म को बेहतरीन ढंग से बनाते है और हम सभी को आश्चर्यजनक ढंग से सोनू और स्वीटी के बीच की, टॉम एंड जेरी जैसी कैमिस्ट्री से बांधे रखते है । नहीं, फ़िल्म के अंत में ऐसा कुछ नहीं है जिसे आप कभी भी उम्मीद करेंगे और यह आपको आश्चर्यचकित करेगा । सोनू के टीटू की स्वीटी निश्चित रूप से आपको सीट से चिपकने पर मजबूर कर देगी ।

फ़िल्म में कुछ ऐसे सीन हैं जिनका उल्लेख किया जाना चाहिए । वो सीन हैं- जब टीटू के साथ रिश्ते के लिए स्वीटी का परिचय कराया जाता है, सोनू का अपने दोस्त के लिए चिंता में पड़ जाना, वाकई काबिलेतारिफ़ है । इसके अलावा वो सीन जहां, टीटू की एक्स पीहू (इशिता राज द्वारा निभाया गया धमाकेदार किरदार) कहानी में दिखाई देती है । नौकर बाबू, जिसे स्वीटी नियुक्त करती हैं, के साथ सोनू का फ़नी सेगमेंट आपको हंसा-हंसा कर लोट पोट कर देगा ।

अभिनय की बात करें तो, कार्तिक आर्यन की स्क्रीन पर मौजूदगी एकदम सर्वश्रेष्ठ है । उनकी कुटिल हंसी और शैतानी आकर्षण, आपको उनसे प्यार करने को मजबूर कर देगा । सनी सिंह एकदम आकर्षक लगते हैं और एक शर्मीले, रोमांटिक साथी के रूप में शानदार परफ़ोरमेंस देते है । वह टीटू के रूप में काफ़ी नेचुरल और विश्वसनीय लगते है । नुसरत भरूचा आपका ध्यान आकर्षित करती हैं और उनका कार्तिक के साथ हर एक पल शानदार है । दोनों की कैमिस्ट्री कमाल की है और दोनों एक साथ काफ़ी कमाल दिखते है । वह अपने किरदार को बखूबी निभाती है और शानदार परफ़ोरमेंस देती हैं । आलोक नाथ के लिए विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि वे विचित्र बुजुर्ग घसिटारम के किरदार को बखूबी निभाते हैं । वह एक व्हिस्की+कबाब वाले लविंग दादा के रूप में रिफ़्रेशिंग है और फ़िल्म की कहानी में बेहद जरूरी दिलचस्पी को जोड़ते है । टीटू की एक्स पीहू के रूप में इशिता राज अपने किरदार को बखूबी निभाती है ।

राहुल मोडी और लव रंजन का लेखन उत्साही है और कहीं भी फ़िसलता नहीं है । यह फ़िल्म शुरूआत से लेकर अंत तक आपको, आगे क्या होगा, के साथ बांधे रखती है ।

सोनू के टीटू की स्वीटी का संगीत पहले ही हिट हो गया क्योंकि संगीत निर्देशक हितेश सोनिक ने कुछ चार्टबस्टर्स गीतों जैसे- 'दिल चोरी' और 'बूम बूम डिग्गी डिग्गी' को फ़िर से नए कलेवर के साथ फ़िल्म में जोड़ा है । हितेश सोनिक का पृष्ठभूमि स्कोर सोनू के टीटू की स्वीटी की समग्र अपील के साथ वास्तव में अच्छा है ।

विजुल्स के मामले में, यह फिल्म बहुत अच्छा दिखती है क्योंकि सिनेमेटोग्राफ़ी को लेकर सुधीर चौधरी हर फ्रेम को खूबसूरत और रंगीन दिखाने का अच्छा काम करते हैं । संपादक अकीव अली फिल्म को कसा हुआ और क्रिस्पी बनाते हैं । विक्की सिडाना की कास्टिंग पूर्णतया ठीक है ।

कुल मिलाकर, सोनू के टीटू की स्वीटी दमदार पंच के साथ दर्शकों का मनोरंजन करती है । ड्रामा और निष्पादन, दोनों ही मामले में यह फ़िल्म मजाकिया और शार्प है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म अपने लक्षित दर्शकों- खासकर युवा, जो फ़िल्म को पुरजोर पसंद करेंगे, को जुटाने में कामयाब होगी । आप इसे देखने जरूर जाइए ।