पिछले कुछ वर्षों में हमने पुनर्जन्म से सबंधित कई सारी फ़िल्में देखी हैं । हालांकि इस तरह की कहानी की सीमाओं को देखते हुए, ज्यादातर ऐसी फ़िल्में जो रिलीज हुईं हैं, उनकी प्लॉट लाइन एक जैसी है, यहां फ़िर उनमें ऐसी स्थितियां दिखाई गई हैं जिनमें अतीत और वर्तमान को साथ-साथ दिखाया गया है । इस हफ़्ते रिलीज हुई फ़िल्म राब्ता भी पुनर्जन्म से सबंधित है । क्या राब्ता वर्तमान बॉक्सऑफ़िस पर जी जाती है या ये अतीत की तरह एक और याद बन जाएगी, आईए समीक्षा करते हैं ।

साल 2017 यानी वर्तमान में, शिव (सुशांत सिंह राजपूत) और सायरा (कृति सैनॉन) एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और अविभाज्य संबंध बनाते हैं । हालांकि उनका परवान चढ़ता हुआ प्यार बीच में ही छूट जाता है जब सायरा को अपने पूर्वजन्म का प्रेमी, जो इस जन्म में सायरा को फ़िर से पाना चाहता है, मिल जाता है । क्या शिव और सायरा का एक दूसरे के लिए वर्तमान का प्यार, अतीत पर भारी पड़ेगा ? क्या सायरा का प्रेमी एक अलग जीवनकाल से उसे वापस लुभाने के अपने सपने को प्राप्त कर पाता है, ये कुछ सवाल हैं जो बाकी की फिल्म का निर्माण करते हैं ।

फ़िल्म की शुरुआत होती है, अत्यधिक आत्मविश्वास से भरे हुए उदघोषित शिव (सुशांत सिंह राजपूत) के परिचय के साथ, जो एक ठेठ पंजाबी लड़का है । यह प्रोफ़ेशनली एक बैंकर होता है, और यह अपने एक दोस्त के साथ विदेश

में एक बैंक में नौकरी के लिए लंदन जाता है । यहां इसकी मुलाकात सायरा (कृति सैनॉन), से होती है, जो काफ़ी अस्थिर दिखाई देती है और तथ्य दिया जाता है कि वह अपने माता-पिता के रूप में दर्पण में प्रतिबिंबित करती है और पानी से डरती है । शिव उसे देखकर उस पर मोहित हो जाता है, और उसका पीछा करने लगता है । इसी तरह, सायरा को भी ऐसा कुछ महसूस होता है जब तक की वह शिव से मिली नहीं थी । वे दोनों लगातार मुलाकात के बाद एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और फ़िर वह शिव के लिए अपने प्रेमी को छोड़ देती है । गतिशीलता के साथ फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ सही गति से व्यापक दृश्यों और बांधे रखने वाले बैकग्राउंड स्कोर के साथ आगे बढ़ता है । फ़र्स्ट हाफ़ के अंत में जाकिर मर्चेंट (जिम सरभ) की एंट्री होती है, वह रहस्य के साथ अपने किरदार को पेश करता है और यही बात दर्शक जानना चाहते हैं । सायरा कुछ पार्टी में जाकिर से मिलती है और उससे जुड़ने लगती है । इस दौरान, शिव को वियना में एक बैंकिंग कॉंफ़्रेंस के लिए रवाना होना पड़ता है ।

लंदन में वापस, सायरा ज़ाकिर के साथ घूमती-फ़िरती है, लेकिन जाकिर किसी और ही वजह से सायरा से नजदीकी बढ़ाता है और उसके दिल में क्या है यह नहीं बताता है । लेकिन लाख कोशिश के बाद भी वह सायरा के दिल से शिव के लिए प्यार को खत्म नहीं कर पाता है, और फ़िर एक दिन जाकिर सायरा को किडनैप कर लेता है और अपने प्राइवेंट आईलैंड पर ले जाता है । जब शिव लौटता है तो उसे ये जानकार बहुत दुख होता है कि सायरा ने जाकिर से शादी रचा ली । शिव के लिए अनजान, सायरा खुद को उसके चंगुल से बचाने की कोशिश करती है और इन सबके दौरान एक समुद्र में गिर जाती है । पानी में डूबते समय सायरा की आंखो के सामने अपनी अतीत की जिंदगी

घूमने लगती है और तब उसे पता चलता है कि 800 साल पहले आखिर वह कौन थी । और यहां से फ़िल्म अनिर्धारित अवधि तक चली जाती है, जहां सायरा और जाकिर प्रेमी थे । वहीं दूसरी तरफ़, शिव अपनी अतीत की जिंदगी में एक आक्रामक जनजाति का योद्धा था जो कि सायर और ज़ाकिर के राज्य को हड़पने पर नजर गड़ाए हुए था । फलस्वरूप घटित होने वाले युद्ध में शिव ज़किर को घायल कर देता है, और फ़िर सायरा अपने राज्य को बचाने का बीड़ा उठाती है और बदला लेने के लिए आतुर हो जाती है । इसके बाद, सायरा शिव के कबीले के प्रमुख के पास जाती है और फ़िर दोनों एक (विचित्र) जंगल दौड़ के साथ मामले को सुलझाने का फैसला करते हैं, और जो जीतेगा उसे राज्य मिलेगा । यहां शिव सायरा को उसका राज्य रखने के लिए रेस जीतने देता है लेकिन अब सायरा उसके साथ प्यार में पड़ जाती है । दोनो शादी कर लेते हैं और ऐसे में जिम बौखला जाता है और अपनी सीमाएं लांघ जाता है । क्रोध से भरा जाकिर एक रात शिव को मार देता है जब एक धूमकेतु धरती पर गुजरता है, और सायरा शिव को बचाने के प्रयास में खुद को मार लेती है । यहां ज़किर को एक भविष्यवाणी के बारे में बताया गया है और वह भी सायरा के लिए खुद को मार देता है । अब फ़िल्म की कहानी वर्तमान में चली जाती है, जाकिर पेपर्स में सायरा को अपनी भविष्य की पत्नी के रूप में घोषित करता है जबकि वह अभी भी एक बंधक के रूप में है । शिव उसे बचा कर लाता है और उसके साथ भाग जाता है । क्या जाकिर के आदमी उसे ढूंढ पाते हैं, क्या एक बार फ़िर से इतिहास दोहराया जाएगा और जाकिर शिव को फ़िर से मार देगा या शिव और जाकिर इस बार जीत जाएंगे, यह सब बाकी की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ अच्छे दृश्यों के साथ प्रसन्नचित करने वाला है क्योंकि

यह आज के समय के लंदन में सेट है । इसमें कहीं-कहीं पर हास्य है और युवा रोमांस आपको बांधे रखता है । सेकेंड हाफ़ में, दौर बदल जाता है और अनपेक्षित अतीत की कहानी सामने आ जाती है, जो कि अचानक आने से दर्शकों को भ्रमित करता है । पहले भाग की तुलना में दूसरा भाग ज्यादा तेज गति वाला है, दर्शकों को एक पेचीदी पटकथा में उलझा दिया जाता है । फ़िल्म के फ़र्स्ट हाफ़ में लव आज कल और बेफ़िक्रे जैसी फ़िल्मों के कई सीन और सीक्वेंस का मिश्रण दिखाई देता है, जबकि सेकेंड हाफ़ गेम ऑफ़ थ्रोन्स से प्रेरित दिखाई पड़ता है ।

अभिनय की बात करें तो, सुशांत और कृति की शिव और सायरा के किरदार में जबरदस्त कैमिस्ट्री देखने को मिलती है । सुशांत सिंह का किरदार शाहरुख खान और रणवीर सिंह के किरदार पर आधारित नजर आता है । वहीं दूसरी तरफ़, कृति अपने किरदार को खोती हुई और पूरी तरह से भ्रमित होती हुई नजर आती हैं । दरअसल, कहानी को आगे बढ़ाने के मामले में कृति के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है, क्योंकि यह जिम सरभ और सुशांत के किरदार पर ज्यादा निर्भर है । जिम की बात करें तो, नीरजा के अभिनेता जिम सरभ, जो अपनी डेब्यू फ़िल्म में अपनी दमदार परफ़ोरमेंस से सभी को आश्चर्यचकित कर देते हैं, राब्ता में पूरी तर से व्यर्थ होते हैं । आगे बढ़ते हुए,ज़ाकीर के रूप में उनकी ओवरएक्टिंग निराश करती है और जिम मिसकास्ट नजर आने लगते हैं । राजकुमार राव और वरुण शर्मा इस फ़िल्म में पूरी तरह से बेकार चले जाते हैं ।

नवोदित निर्देशक दिनेश विजन एक सुसंगत पटकथा की कमी के कारण बाधित होते हैं । हालांकि, दिनेश युवा रोमांस को दिखाने में सफ़ल होते हैं जो युवा दर्शकों को आकर्षित करने में सफ़ल होगी । फ़िल्म के लेखक सिद्धार्थ और

गरिमा कहानी को लेकर बेहतर काम कर सकते थे ।

मार्टिन प्रेयिस की डीओपी [डायरेक्टर ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी] व्यापक दृश्य और शानदार स्थान [बुडापेस्ट] जो फ़िल्म की कहानी के लिए एकदम फ़िट बैठते हैं, कमाल की है । राब्ता का संगीत से इससे उम्मीद लगाई गई थी, उन उम्मीदों पर खरा उतरता है । फ़िल्म का हर एक गाना फ़िल्म के लिए काम करता है, जिसमें दीपिका पादुकोण पर फ़िल्माया गया 'राब्ता' गाना और 'इक वारी आ' सबसे ज्यादा अच्छे गानों में शुमार है । सचिन-जिगर का बैकग्राउंड स्कोर पर्दे पर दिखाई जाने वाले दृश्यों में जान डालता है ।

कुल मिलाकर, राब्ता अच्छी तरह से अभिनीत, बेहद खूबसूरत स्थानों व दमदार सिनेमेटोग्राफ़ी के साथ सजाई गई फ़िल्म है । यह फ़िल्म आपकी देखने की लिस्ट में शुमार की जानी चाहिए यदि आप रोमांस, कल्पना और पुनर्जन्म से संबंधित कहानी को पसंद करते हैं तो ।