आज के दौर के कलाकारों के लिए माइकल जैक्सन एक बहुत बड़ी प्रेरणा रहे हैं । टाइगर श्रॉफ उन कलाकारों में से एक है जो दिवंगत पोप स्टार माइकल जैक्सन के लिए अपने प्यार के बारे में बात करने से कभी नहीं हिचकिचाए । और इसलिए उन्हें इस फ़िल्म में लेना माइकल जैक्सन को एक श्रद्धांजलि देता है । और उसी क्षण, मुंबई की तीन बत्ती, जहां एक समय जैकी ने अपना समय गुजारा, में टाइगर के किरदार से जैकी श्रॉफ को सम्मान देना, बहुत अच्छा लगता है । लेकिन टाइगर के एक्शन स्टंट के अलावा, ये सभी एलीमेंट्स मुन्ना माइकल को मजेदार फ़िल्म बनाने में कामयाब होते हैं, आईए समीक्षा करते हैं ।

मुन्ना माइकल मुंबई की गलियों के माइकल जैक्सन फ़ैन की कहानी को दर्शाती है जिसकी जिंदगी तब बदलती है जब उसकी जिंदगी में एक खूबसूरत लड़की आती है और दिल्ली के एक गैंगस्टर से उसकी मुलाकात होती है । मुन्ना (टाइगर श्रॉफ) हमेशा से ही माइकल जैक्सन का प्रशंसक रहा है । वह इसे हल्के में नहीं लेता है भले ही लोग उसे कितना ही परेशान क्यों न करें । ऐसे ही एक हड्डियां तोड़ देने वाले एक्शन सीन के दौरान वह दिल्ली के एक क्रूर गैंगस्टर, महिंदर (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) के संपर्क में आता है । जब महिंदर को पता चलता है कि मुन्ना एक पैदायशी डांसर है तो वह उसे खुद को डांस सिखाने के लिए कहता है और एक प्रो-डांसर बनाने में मदद करने के लिए कहता है । मुन्ना न चाहते हुए भी इसके लिए राजी हो जाता है । जल्द ही मुन्ना को ये पता चल जाता है कि महिंदर दरअसल ये डांस एक खूबसूरत महत्वाकांक्षी स्टार डॉली (निधि अग्रवाल) को इंप्रेस करने के लिए सीखना चाहता है । परेशानी तब शुरू होती है जब मुन्ना डॉली के प्यार में पड़ जाता है और डॉली भी उसके प्यार में पड़ जाती है । मुन्ना कैसे डॉली के लिए अपने प्यार और महिंदर के साथ अपनी दोस्ती को बेलेंस कर पाता है, यह सब फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

यह फ़िल्म शुरू होती है कैसे मुन्ना माइकल का नाम ये पड़ता है । बचपन का हिस्सा, हालांकि अवास्तविक सा लगता है और ला ला लैंड का फ़ील देता है, और चेहरे पर एक मुस्कान लेकर आता है । फ़िल्म में टाइगर की एंट्री अपेक्षित सीटी योग्य है और ऐसा ही उनके इंट्रो सॉंग (मैं हूं) के लिए होता है । फ़िल्म की कहानी में महिंदर की एंट्री और मुन्ना के साथ उनका डांस लेसन, फ़िल्म को एक अलग स्तर पर ले जाता है । फ़िल्म में परेशानी तब शुरू होती है जब डॉली की एंट्री होती है । इस किरदार के साथ कोई परेशानी नहीं है लेकिन किसी कारण से, फिल्म यहां से एक अवास्तविक जोन में चली जाती है । फ़िल्म में बहुत अधिक विखंडित और घिसे-पिटे प्लॉट हैं । फ़िल्म के अंत में सिनेमाई स्वतंत्रता ऊंचाई पर चली जाती है । इस पर विश्वास करने के लिए इसे देखिए !

फिल्म का लेखन फ़िल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है । ऐसा लगता है कि पटकथा लेखक (विम्मी दत्त) को एक बिंदु के बाद बहुत कुछ नहीं मिला था और फ़िर घिसा-पिटा रुख अख्तियार करते हुए अनुमान लगा ली जाने वाली कहानी लिख दी । फ़िल्म के फ़र्स्ट हाफ़ में एक्शन, डांस और थोड़ा बहुत रोमांस देखने को मिलता है, और इसके बाद सेकेंड हाफ़ में ये ड्रामा में तब्दील हो जात है और इसमें रिएल्टी शो जगह ले लेता है । विम्मी के संवाद अच्छे हैं ।

यह प्रशंसनीय है कि निर्देशक सब्बीर खान ऐसे समय में मसाला फ़िल्म बनाते हैं जब ज्यादा से ज्यादा फ़िल्ममेकर यथार्थवादी सिनेमा की दौड़ में कूद रहे हैं । इसके अलावा, टाइगर और नवाजुद्दीन को एक साथ देखना मास्टरस्ट्रोक है । लेकिन पर्दे पर कार्यवाही असंवेदनशील है । बीच में, कुछ ऐसे सीन है जो मजेदार हैं, एक्शन सीन दर्शकों को उत्साहित करेंगे और फ़िल्म के गाने पैर हिलाने को मजबूर कर देंगे । हालांकि, एक बेहतरीन स्क्रिप्ट मनोरंज़क मसाला फ़िल्म बनाने के लिए इन सभी तत्त्वों को एक साथ जोड़ने के लिए मददगार हो सकती थी ।

अभिनय की बात करें तो, टाइगर श्रॉफ़ स्मार्ट दिखते हैं और उनकी उछल-कूद जरा भी ज्यादा नहीं दिखती है, जिसके लिए वह प्रसिद्ध हैं । वह सुपरस्टार की तरह डांस करते हैं और माइकल जैक्सन को बहुत अच्छी तरह से श्रद्दाजंली देते हैं । उनके किरदार में टपोरी स्टाइल नजर आती है और वे इसे बखूबी निभाते हैं । नवाजुद्दीन सिद्दीकी शानदार लगे हैं । नवाज हमेशा से ही किसी भी किरदार को बखूबी तरीके से निभाकर अपना जादू चला जाते हैं और यह फ़िल्म भी कोई अपनाद नहीं है । उनकी संवाद अदायगी और कॉमिक टाइमिंग एकदम सटीक है और फ़िल्म में बहुत आवश्यक मसाला लेकर आती है । और हां, वह बहुत अच्छा डांस करते हैं । हालांकि लोग नवाज को टाइगर के साथ थिरकते हुए देखना चाहते थे, लेकिन जो काफी नहीं होता है । निधी अग्रवाल बेहद खूबसूरत और पर्दे पर बहुत आत्मविश्वासी दिखती हैं । उनका अभिनय अच्छा है, कमोबेश, लेकिन उनका डांस और भी अच्छा किया जा सकता था, विशेषरूप से तब जब, उन्हें एक रिएल्टी डांस शो में सर्वाधिक लोकप्रिय डांसर के रूप में दिखाया गया । इसके अलावा ऐसे कुछ सीन भी हैं जहां वह खो सी जाती हैं और ठीक नहीं लगती हैं । पंकज त्रिपाठी (बाली), जो आर्टहाउस फिल्मों में अपने प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं, इस मसाला फिल्म सेटअप में एक अच्छा काम कर जाते हैं । रोनीत रॉय (मुन्ना के पिता) का शानदार एंट्री सीन है । वह बहुत ही शानदार परफ़ोरमेंस देते हैं ,हालांकि बाद में, वह हद कर देते हैं । लेकिन एक बदलाव के लिए उन्हें पॉजिटिव किरदार में देखना अच्छा लगता है । चित्रांगदा सिंह, फराह खान, अमिषा पटेल और शनाज ट्रेजरी अपने कैमियो को यादगार बनाने में नाकाम रहते हैं ।

गानें मनोरंजक हैं और अच्छी तरह से प्लेस किए गए हैं । "मैं हूं" गाना मुन्ना की एंट्री के तुरंत बाद आता है, यह गाना पैर थिरकाने वाला है । 'स्वैग' के दोनों वर्जन बहुत ही अच्छी तरह से शूट किए गए हैं । संदीप शिरोडकर का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और एक 'फिल्मी' स्पर्श रखता है ।

हरि के वेदंतम की सिनेमेटोग्राफ़ी फ़िल्म को स्टाइलिश दिखाने में एक बड़ी भूमिका निभाती है । मानन सागर का संपादन क्रिस्पी है । रजत पोद्दार का प्रोडक्शन डिजाइन और गणेश आचार्य की कोरियोग्राफी आकर्षक हैं । एएनएल अरसु और के रवि वर्मा के एक्शन आनन्ददायक हैं ।

कुल मिलाकर, मुन्ना माइकल अपना एक अस्तित्व रखती है लेकिन कमजोर लेखन की वजह से मात खाती है । हालांकि टाइगर श्रॉफ़ के प्रशंसक उनका डांस और एक्शन सीन देखकर बहुत खुश होंगे । बॉक्सऑफ़िस पर, फिल्म का विकास मौखिक रूप से निर्भर करेगा ।