Ae-Dil-Hai-Mushkil-25

बॉलीवुड फ़िल्मों में रोमांस हमेशा से ही सर्वोपरी रहा है । बॉलीवुड में शायद ही ऐसी कोई फ़िल्म होगी जिसकी कहानी प्यार और रोमांस की स्याही में डुबोए बिना लिखी गई हो यानी जिसमें रोमांस का तड़का न लगाया गया हो । इस हफ़्ते बॉक्सऑफ़िस पर रिलीज हुई करण जौहर द्दारा निर्देशित ऐ दिल है मुश्किल जो कि एक रोमांटिक फ़िल्म है । क्या ऐ दिल है मुश्किल भावनात्मक तौर पर एक सफ़ल फ़िल्म रहेगी या यह फ़िल्म 'मुश्किल' का सामना करेगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

ऐ दिल है मुश्किल, प्रेमियों के बीच की एक उतार-चढ़ाव भरी कहानी है, जो कि उनकी जिंदगी के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है । फ़िल्म की शुरूआत गायक अयान सहगल (रणबीर कपूर) के इंटरव्यू देने के परिचय से होती है , जहां वह अपने सफ़ल गायकी करियर के पीछे की प्रेरणा के बारें में बात करते हैं । इसके बाद फ़िल्म की कहानी फ़्लैशबैक में जाती है, जहां अयान और जिंदादिल, उत्साही अलीज़ा खान (अनुष्का शर्मा) से एक नाइट क्लब में मिलते हैं । दोनों को दोस्त के रूप में एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता है इतना की वो कभी न अलग होने वाले दोस्त बन जाते हैं । एक दिन जब अयान और अलीज़ा अपने संबंधित प्रेमियों (लिजा हेडन और इमरान अब्बास) के साथ डबल डेट पर जाते हैं उस दौरान एक अप्रिय घटना होती है जिसकी वजह से उनका उनके-उनके प्रेमियों के साथ ब्रेकअप हो जाता है । अब अयान और अलीजा अपने-अपने ब्रेक-अप को सेलिब्रेट करने के लिए पेरिस जाते हैं जहां दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लगने लगता है । अलीजा से अपने प्यार का बार-बार इकरार करने के बावजूद, वह हमेशा एक ही बात कहती है कि वे सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं । एक दिन अयान और अलीजा

पार्टी करने के लिए क्लब में जाते हैं वहां अलीजा अपने पूर्व प्रेमी अली (फवाद खान) से मिलती हैं जो कि उस क्लब में डीजे होता है । अलीजा, जो महसूस करती है कि उसका अली के लिए प्यार फ़िर से उभर रहा है, अयान को अपना फ़ैसला सुना देती है । वह अयान को बताती है कि वह अली से शादी करना चाहती है और ये वही व्यक्ति है जिससे उसे पहले प्यार हुआ था । अयान का ये सुनकर दिल टूट जाता है और तब वह सबा (ऐश्वर्या राय बच्चन) से मिलता है, जो कि एक कवयित्री है और एक तलाकशुदा महिला है, जिसने अपनी खुशी से तलाक दिया था । अयान सबा के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगता है, सबा को उस रिश्ते में कुछ गड़बड़ सी नजर आती है । इन सब के बीच, अयान को अलीजा के बारें में कुछ हैरान कर देने वाली बात पता चलती है और वो हर किसी की जिंदगी को बदलकर रख देती है । अलीजा के बारें में अयान को ऐसी क्या बात पता चलती है जिससे अयान सदमें में आ जाता है, सबा के साथ उसका रिलेशनशिप का क्या अंजाम होता है, और अयान किसके साथ सेटल होता है, ये सब बाकी की फ़िल्म देखकर ही पता चलेगा ।

करण जौहर की फ़िल्म हमेशा रिश्तों और भावनाओं के ताने-बाने में बुनी हुईं होती हैं जिसमें रईसी की झलक, और संगीत की महत्ता साफ़-साफ़ देखी जा सकती है । ऐ दिल है मुश्किल भी कुछ इस तरह की ही कहानी है । जब से ऐ दिल है मुश्किल के प्रोमो रिलीज हुए तब से दर्शकों के बीच इस फ़िल्म को लेकर जिज्ञासा चरम पर थी । यह फ़िल्म दर्शकों की उम्मीद पर खरी उतरती है । फिल्म की कसी हुई पटकथा (करण जौहर) इसे वास्तविक बनाती है और अत्यंत रूप से आज के रिश्तों से रिलेट करती है । फिल्म के संवाद(निरंजन आयंगर, करण जौहर) वाकई जीवंत है और इसके स्थितीजन्य वनलाइनर्स निश्चितरूप से दर्शकों (विशेषरूप से नौजवानों के बीच) के बीच गूंजेंगे । हालांकि ऐ दिल है मुश्किल की कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है क्योंकि पहले भी दर्शक इस तरह की कहानी कई बार देख चुके हैं । ऐसा क्या है जो इसे बाकी की फ़िल्मों

से अलग बनाता है वो इस फ़िल्म का स्क्रीनप्ले, अत्यंत परिपक्वता जो कि करण जौहर की हर फ़िल्म में देखने को मिलती है । ऐ दिल है मुश्किल, में वो सब कुछ है जो करण जौहर की फ़िल्मों में होता है । इसकी परिपक्व कहानी के बावजूद यह फ़िल्म हर उम्र के वर्ग को भाएगी (विशेषरूप से नौजवानों को) ।

कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, कभी अलविदा न कहना, माइ नेम इस खान और स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर जैसी हिट फ़िल्में निर्देशित करने के बाद करण जौहर ने ऐ दिल है मुश्किल को निर्देशित करने की कमान संभाली । इस फ़िल्म पर करण जौहर की त्रुटीहीन फ़िल्म निर्माण की छाप पूरी तरह से देखी जा सकती है ।

करण जौहर, जो अपनी फ़िल्म की स्टार कास्ट से असाधारण प्रदर्शन निकालने के लिए जाने जाते हैं, एक बार फ़िर ऐ दिल है मुश्किल में अपने इस टैग को सार्थक करते हैं । ऐ दिल है मुश्किल के साथ, करण जौहर ये पूरी तरह से साबित करते हैं और इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि क्यों उन्हें बॉलीवुड में सर्वश्रेष्ठ कहानी वक्ता कहा जाता है । यदि एक शब्द में कहा जाए तो ऐ दिल है मुश्किल में करण जौहर का निर्देशन 'अनुकरणीय' है । बिना किसी नौटंकी या हद से ज्यादा बढ़ा-चढ़ा के दिखाए सीन का सहारा लिए, इमोशनल पल सम्भालने के लिए और खासतौर पर क्लाइमेक्स के समय पर ट्विस्ट डालने केलिए करण जौहर को पूरे में से पूरे नंबर दिए जा सकते हैं । हालांकि फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ पूरी तरह से किरदारों को स्थापित करने में बीतता है, वहीं फ़िल्म का सेकेंड हाफ़ फिल्म की गति (क्लाइमेक्स की ओर ज्यादा) में जान डालता है । उन सीन को मिस मत कीजिए जहां रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा डबल डेट पर जाते हैं, रणबीर 'तोहफ़ा-तोहफ़ा' और 'बेबी डॉल' गानो की धुनों पर थिरकते हैं , जब अनुष्का शर्मा रणबीर कपूर को 'दिल का दर्द' का मतलब समझाती हैं, रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा 'आल्प्स में उनके बॉलीवुड सपने को जीते हैं और फ़िल्म के सेकेंड हाफ़ में मेडली सॉंग सीक्वेंस जैसे आकर्षक सीन ।

अभिनय की बात करें तो, यह फ़िल्म रणबीर कपूर, जिसकी विशेषरूप से रॉय, बॉम्बे वेलवेट और तमाशा जैसी फ़िल्मों के एक के बाद एक फ़्लॉप होने बाद एक अदद हिट फ़िल्म की जरूरत है , से संबधित है । ऐ दिल है मुश्किल में रणबीर कपूर बहुत जंचते हैं और ऐसा लगता है कि ये रोल उनके लिए ही बना हो । रणबीर कपूर, जो अक्सर फ़िल्म का केंद्र बिंदु होते हैं, ने इस रोल को जीया है । यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐ दिल है मुश्किल पूरी तरह से सिर्फ़ और सिर्फ़ रणबीर कपूर की फ़िल्म है । वहीं दूसरी तरफ़, अनुष्का शर्मा ने फ़िल्म में शानदार काम किया है और पूरी शिद्दत के साथ अपना रोल निभाया है । फिल्म में रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा के बीच की केमिस्ट्री उत्कृष्ट है, इतना कि, लोग निश्चित रूप से उनकी पिछली फिल्म बॉम्बे वेलवेट की पराजय को पीछे छोड़ देंगे । कुल मिलाकर, अनुष्का शर्मा इस फिल्म में उनके प्रदर्शन के मामले में अत्यंत सुखद लगती हैं । ऐश्वर्या राय बच्चन, फ़िल्म में सीमित समय होने के बावजूद बहुत ही खूबसूरत, क्लासी और अपनी पिछले सभी भूमिकाओं से अलग लगती हैं । ऐश्वर्या को इस तरह से पेश करने के लिए मनीष मल्होत्रा को पूरे में से पूरे अंक दिए जाते हैं । बात रणबीर के किरदार को आकर्षित करने की हो या दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की ऐश उम्मीदों पर एकदम खरी उतरती है, जैसा कि ऐश से उम्मीद की गई थी । फ़वाद खान, जिनकी भूमिका निर्दयता से काट दी गई, जितना भी उन्हें समय मिला है उसमें वे बहुत जंचे हैं । फ़िल्म में आलिया भट्ट और इमरान अब्बास का कैमियो कामचलाऊ हैं । दूसरी ओर, शाहरुख खान और लिसा हेडन का कैमियो शानदार रहा है ।

ऐ दिल है मुश्किल का संगीत (प्रीतम) पहले से ही सुपरहिट है, और फ़िल्म के गाने फ़िल्म की कहानी में चार चांद लगाते हैं । बुलैया और फ़िल्म का शीर्षक गीत फ़िल्म की गति को एक अलग ही स्तर पर ले जाते हैं । इस फिल्म का पृष्ठभूमि स्कोर (प्रीतम) भी उतना ही अच्छा है और फिल्म काफी मदद करता है ।

फिल्म का छायांकन (अनिल मेहता) उत्कृष्ट है । जिस तरह से उन्होंने विदेशी स्थलों को शूट किया वह

वाकई काबिलेतारिफ़ है । हालांकि फिल्म का संपादन (माणिक डावर) अच्छा है, यह निश्चित रूप से और कसा हो सकता था, विशेषरूप से फ़िल्म के सेकेंड हाफ़ में । यदि फ़िल्म की लंबाई थोड़ी कम होती तो ये निश्चितरूप से फ़िल्म के लिए अच्छी साबित होती ।

कुल मिलाकर, ऐ दिल है मुश्किल कहानी बयां करने में महारथ हासिल कर चुके करण जौहर की ओर से रिश्तों के लिए समकालीन और नए जमाने की सोच है । यह पूरी तरह से मनोरंजन करने के लिए दीवाली का गिफ़्ट है, जो कि बड़े कैनवास पर शानदार लुभावने दृश्यों, चार्टबस्टर म्यूजिक और एक मनोरंजक पटकथा से भरी है । ये फ़िल्म, जबरदस्त प्रचार, फ़ेस्टिव सीजन से युक्त और विस्तारित वीकेंड के कारण बॉक्सऑफ़िस पर कमाल दिखाने में कामयाब होगी और फ़िल्म के मेकर्स के लिए शानदार रिटर्न साबित होगी । संक्षेप में, ऐ दिल है मुश्किल निर्विवादरूप से सुपरहिट है ।