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क्या आप आज के दौर में बिना मोबाइल फ़ोन के अपनी जिंदगी की कल्पना कर सकते हैं ? इसका जवाब निश्चितरूप से 'न' ही रहेगा क्योंकि आज के डिजीटल वर्ल्ड में बिना गैजेट्स के कोई भी नहीं रह सकता है । भले ही मोबाइल को कुछ लोग स्वास्थ्य के हिसाब से सही नहीं मानते हों लेकिन फ़िर भी आज के समय में यह पानी के समान आवश्यक है । भारत के सबसे कल्पनाशील और सफ़ल निर्देशक में से एक, एस शंकर ने इस आईडिया को अपनी साई-फ़ाई ब्लॉकबस्टर फ़िल्म रोबोट [2010] के सीक्वल 2.0 में लिंक किया है । यह फ़िल्म अपने वीएफ़एक्स और टैक्नोलॉजी के कारण भारत की बेहतरीन फ़िल्म होने का दावा करती है । लेकिन इस फ़िल्म ने कई तरह की मुश्किलों का सामना किया और इस वजह से इसकी रिलीज डेट डिले होती गई, तो क्या दर्शक इमोशनली इस फ़िल्म से जुड़ पाएंगे या यह दर्शकों को बड़े स्तर पर निराश करती है, आइए समीक्षा करते है ।

फ़िल्म समीक्षा : 2.0 एक सिनेमाई चमत्कार है

2.0 एक दुष्ट शक्ति से लड़ने की कहानी है जिसमें एक रोबोट भी इससे कठिन मुकाबला करता है । डॉ वसीकरण (रजनीकांत) अपने क्षेत्र में प्रगति करते हैं और जीवन में रोबोट की महत्ता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे है । उन्होंने एक बेहद आकर्षक रोबोट बनाया है जिसका नाम है नीला (एमी जैक्सन) जो किसी भी तरह का घरेलु काम कर सकती है । इस बीच, शहर में एक अजीब घटना शुरू होती है । अचानक लोगों के मोबाइल फ़ोन उनसे हाथ से गायब हो जाते हैं और हवा में कहीं तो अदृश्य हो जाते है और कोई शक्ति उन्हें अपनी ओर खींच कर लापता कर देती है । इससे हर किसी के बीच एक हड़कंप सा मच जाता है । दुष्ट शक्ति द्दारा एक मोबाइल फोन कंपनी के प्रमुख मनोज लुल्ला (कैजाद कोटवाल) और प्रमुख नेता आरएस वैरामोर्थी की हत्या के बाद मोबाइल फोन से बनी एक बड़ी सी चिड़िया सामने आती है । डॉ वसीकरण सरकार से अनुरोध करते हैं कि उन्हें उनके चिट्टी रोबोट को फ़िर से सक्रिय करने की अनुमति दि जाए । हालांकि, धीनेंद्र बोरा (सुधांशु पांडे) आपत्ती उठाते हैं क्योंकि पिछली बार उसकी वजह से काफ़ी विनाश हुआ था । लेकिन हाथ में कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण गृह मंत्री विजय कुमार (आदिल हुसैन) ने डॉ वसीकरण को इसकी अनुमति दे देते है । चिट्टी एक बार फ़िर दुष्ट शक्ति से कठिन संघर्ष करने के लिए एक्टिव हो जाता है । लेकिन जल्द ही चिट्टी भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाता है । वह दुष्ट शक्ति कोई और नहीं बल्कि डॉ पक्षीराज (अक्षय कुमार) है, जिसका एक डार्क पास्ट है और वह भी काफ़ी शक्तिशालि है । जब तक वह अपना उद्देश्य प्राप्त नहीं कर लेता तब तक वह आराम नहीं करेगा, ऐसा उसका मिशन है । इसके बाद क्या होता है, यह आगे की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

शंकर की कहानी कल्पनाशील, आधुनिक और समय की आवश्यकता अनुसार है । यह किक [2014] और शंकर की अपनी फ़िल्म अपरिचित [2006] का एक डेजावू फ़ील देती है जबकि वीएफएक्स और शहर के दृश्यों में यह फ़िल्म कृष 3 [2013] की याद दिलाती है । शंकर की पटकथा कसी हुई, आकर्षक, बांधे रखने वाली और सबसे महत्वपूर्ण, सरल और अत्यधिक मनोरंजकदायक है । यह देखना सराहनीय है कि उन्होंने मनोरंजन उद्धरण पर समझौता किए बिना एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है । अब्बास टायरवाला के संवाद इतने ग्रेट नहीं है लेकिन काम करते हैं ।

शंकर का निर्देशन बेहद प्रभावशाली है और वह एक बार फ़िर साबित कर देते हैं कि क्यों वह हमारे सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माताओं में से एक है । वह उपलब्ध प्रौद्योगिकी से अभिभूत नहीं होते हैं और इसका सही उपयोग करते हैं । वह हानिकारक विकिरण और पक्षियों पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हुए संतुलन बनाए रखते हैं और कहीं भी उपदेशात्मक नहीं लगते है । नतीजतन, फ़िल्म का प्रभाव जबरदस्त आता है । वास्तव में, 2.0 इस विषय पर बहुत आवश्यक बहस शुरू कर सकती है ।

2.0 बिना समय गंवाए, अपने पहले सीन से अपनी कहानी पर आ जाती है और फ़िल्म आगे बढ़ती है । और यह चीज अंत तक चलती है । इसमें कहीं भी कोई गाना या ह्यूमर जबरदस्ती का घुसाया हुआ नहीं है यह पूर्ण रूप से कहानी पर फ़ोकस्ड है । 148 मिनट की लंबी फिल्म एक पल के लिए भी बोर नहीं करती है क्योंकि इसमेम बहुत कुछ घटित होता है । तीनों हत्याएं काफ़ि रक्तरंजित है लेकिन काफ़ी प्रभाव छोड़ती है । चिट्टी की एंट्री फ़िल्म को एक अलग स्तर पर ले जाती है और निश्चितरूप से इसका स्वागत तालियों और सीटी से होगा । इंटरमिशन प्वाइंट काफ़ी दमदार है लेकिन शंकर ने सेकेंड हाफ़ के लिए इससे भी बेहतर सीन बचा कर रखे है । डॉ पक्षीराज का फ़्लैशबेक पोर्शन खराब हो सकता था । लेकिन ऐसा नहीं होता है और यह फ़िल्म को एक बहुत जरूरी इमोशनल टच देता है । क्लाइमेक्स में, जहां फ़िल्म एकदम श्रेष्ठ स्तर पर चली जाती है, रजनीकांत एक बार फ़िर हर तरह से छा जाते हैं और यकीनन उनके फ़ैंस ये देखकर उन्मत्त हो उठेंगे ।

उम्मीद के मुताबिक, रजनीकांत इस फ़िल्म के स्टार है । शुरूआती हिस्सों में वह बहुत ही शानदार है लेकिन सेकेंड हाफ़ में, खासकर क्लाइमेक्स में वह छा जाते हैं । भले ही लीजेंड सुपरस्टार रजनीकांत अपनी पिछली रिलीज फ़िल्मों से बॉक्सऑफ़िस पर कुछ कमाल नहीं दिखा पाए हों लेकिन 2.0 निश्चितरूप से ये धारणा बदल कर रख देगी । अक्षय कुमार की एंट्री फ़िल्म में काफ़ी देर बाद होती है लेकिन वह अपने लिमिटेड स्क्रीन टाइम से भी अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं । सेकेंड हाफ़ में उनका फ़्लैशबेक हिस्सा उम्दा है और उनका लुक तो अलग से प्रशंसा का हकदार है जिसकी सराहना हर जगह की जाएगी । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, वह हर इंच एक खतरनाक खलनायक के रूप में दिखते हैं । प्रशंसा के हकदार । एमी जैक्सन की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है और वह फिल्म में एक सरप्राइज हैं । डॉ वसीकरण द्दारा चिट्टी का उल्लेख करते समय उनकी किलर स्माइल देखने लायक है । सुधांशु पांडे अपना किरदार अच्छे से निभाते हैं लेकिन उनके ट्रैक को पचा पाना बहुत मुश्किल है । आदिल हुसैन हर बार की तरह इस बार भी विश्वसनीय है । कैजाद कोटवाल सभ्य है । आर एस वैरामोर्थी निभाने वाला कलाकार फ़नी है ।

ए आर रहमान का संगीत कोई प्रभाव नहीं डालता है । 'राक्षसी' और 'नन्हीं सी जान' बैकग्राउंड में प्ले किया जाता है जबकि 'तू ही रे' अंत के क्रेडिट के दौरान प्ले किया जाता है । ए आर रहमान का बैकग्राउंड म्यूजिक हालांकि काफी प्रभावशाली है । निर्वा शाह का छायांकन सभी मामलों में विशेष रूप से हवाई शॉट्स में शानदार है । टी मुथुराज का प्रोडक्शन डिजाइन शीर्ष स्तर के है और फिल्म काफी समृद्ध दिखती है । वी श्रीनिवास मोहन और रिफ दघर के वीएफएक्स बेहतरीन है । खासकर अंत के 30 मिनट में, जो कि किसी भी भारतीय फ़िल्म में अभी तक नहीं देखे गए है । रेसुल पुकुट्टी का साउंड डिजाइन प्रशंसनीय है, खासकर हजारों फोन का एक साथ वाईब्रेट करना । केनी बेट्स, निक पॉवेल, स्टीव ग्रिफिन और सिल्वा की कार्रवाई थोड़ी रक्तरंजित है लेकिन बाद के दृश्यों में यह बहुत प्रभावशाली है । लेगेसी इफ़ैक्ट्स 'एनिमेट्रोनिक्स और स्पेशल मेकअप वैश्विक मानकों से मेल खाते हैं । अक्षय कुमार के मेक-अप के लिए यहां विशेष उल्लेख है, यह शानदार है । एंथनी का संपादन दोषरहित है ।

कुल मिलाकर, 2.0 एक सिनेमाई चमत्कार है जिसमें शैली होने के साथ एक वास्तविकता भी है । विशेष रूप से अंत के 30 मिनट के दौरान दिखाए गए वीएफ़एक्स, ऐसे हैं जो अभी तक भारतीय सिनेमा में नहीं देखे गए है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म निश्चितरूप से ब्लॉकबस्टर है और साथ ही ये आगे आने वाले दिनों में एक नया बैंचमार्क स्थापित करेगी > इस फ़िल्म को जरूर देखिए !