साल 2016 में, फ़िल्म उड़ता पंजाब को लेकर भारी विवाद खड़ा हुआ था जब सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म में 89 कट लगाने को कहा । यह फ़िल्म पंजाब में बड़े पैमाने पर ड्रग्स के सेवन की समस्या को दर्शाती है । राज्य में सिर्फ 7-8 महीने बाद चुनाव होने वाले थे, ऐसे में ये फ़िल्म राज्य में सत्तारूढ़ सरकार के लिए खतरा मानी जाने लगी । और नतीजतन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन (सीबीएफसी) के प्रमुख की कुर्सी पर विराजमान पहलाज निहलानी ने फ़िल्म में काफ़ी मात्रा में कटौती करने का आदेश दिया । उन्होंने पंजाब, जालंधर, चंडीगढ़, अमृतसर, तरण तारण, जशानपुरा, अंबसेर, लुधियाना और मोगा के सभी संदर्भों को हटाने के लिए कहा । हालांकि मेकर्स किसी भी कटौती के पक्ष में नहीं थे । उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां फ़िल्म मेकर्स के पक्ष में फ़ैसला सुनाया गया ।

और अब उसी राह पर है संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी ऐतिहासिक, फ़िल्म पद्मावत, जो काफ़ी समय से विवादों के घेरे में है । पद्मावत को भी उड़ता पंजाब की तरह प्रसून जोशी की अध्यक्षता में भारी कटौती से गुजरना पड़ा । सबस पहले भंसाली की पद्मावत 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी लेकिन फ़िल्म के खिलाफ़ बढ़ते विवाद के चलते फ़िल्म की रिलीज डेट को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा । फ़िल्म को लेकर कुछ राजपूत समुदाय का कहना था कि ये फ़िल्म उनके इतिहास के साथ खिलवाड़ है । और इसी के चलते भारत के पांच राज्यों-राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया । इसके अलावा, सीबीएफसी ने अपूर्ण आवेदन का हवाला देते हुए, फिल्म को वापस भेज दिया ।

और फ़िर 28 दिसंबर को, सीबीएफसी ने आखिरकार फिल्म को सहमति से प्रमाणित करने का फ़ैसला किया । फ़िल्म प्रमाणपत्र देने के साथ-साथ सेंसर बोर्ड ने कई संशोधनों की सिफारिश की । और उसमें सबसे पहले तो फ़िल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत करने को कहा गया । टाइटल बदलने के अलावा, सीबीएफसी ने फ़िल्म में 5 बड़े बदलाव करने का निर्देश दिया और इन बदलावों को पूरी तरह लागू करने के लिए फिल्म में 300 से ज्यादा कटौती करनी पड़ी । करने पड़े । सीबीएफ़सी ने निर्देश दिया कि वह फिल्म में से दिल्ली, चित्तौड़गढ़ और मेवाड़ के सभी संदर्भों को हटा दें ।

प्रसून जोशी ने फिल्म में पांच 'संशोधन' करने का दावा किया- सबसे पहले तो इस फ़िल्म का डिसक्लेमर यह दावा करे कि यह फिल्म ऐतिहासिक रूप से सही नहीं है । दूसरा यह कि, फ़िल्म का नाम पद्मावत रखा जाए । तीसरा ये कि 'घूमार' गीत में उचित संशोधन होना चाहिए । चौथा ये कि, फिल्म में दिखाए गए गलत और भ्रमित करने वाले ऐतिहासिक स्थलों में बदलाव हो । पांचवां ये कि फिल्म में एक डिस्क्लेमर दिया जाना चाहिए जिसमें ये लिखा हो कि उनकी यह फ़िल्म किसी भी तरह से सती प्रथा का समर्थन या उसे महिमामंडित नहीं करती है । जो चौथा संशोधन है वो ऐसा है कि जहां-जहां भी उस शहर या स्थान का नाम होगा इसे बदला जाएगा । और क्योंकि यह बहुत जगह इस्तेमाल हुए है इसलिए लगभग 300 कटौती का अनुमान है ।

खबरें तो ये भी आ रही है कि संजय लीला भंसाली ने परेल स्थित राजकमल स्टूडियो में इन बदलावों को करने के लिए दिन-रात एक कर दिए है ताकि फ़िल्म समय पर रिलीज हो सके । यह फ़िल्म 25 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होगी ।