बाहुबली : द कन्क्लूज़न के बारें में जानने का मौका किसी को नहीं मिला । लेकिन सेंसर बोर्ड को यह विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है । प्रमुख सीबीएफ़सी के सदस्यों ने फ़िल्म के बारें में अनजाने में भेद खोल दिया है, जिसे एक तरह से फ़िल्म बाहुबली : द कन्क्लूज़न का संपूर्ण रिव्यू माना जा सकता है ।

सीबीएफसी सदस्य कहते हैं, “बाहुबली : द कन्क्लूज़न अपने पहले भाग के मुकाबले हर मायने में बड़ी है । इसका दूसरा भाग पहले भाग की तुलना में ज्यादा लंबा है, जो कि पूरे तीन घंटे का है । लेकिन किसी भी पल इस फ़िल्म की कहानी आपको बोर नहीं करती है । हमने इसके डायलॉग में से किसी भी फ़्रेम, शॉट या शब्द को नहीं काटा है । फ़िल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे काटा या हटाया जा सके । फ़िल्म के एक्शन सीन और स्पेशल इफ़ेक्ट्स को बखूबी शूट किया गया है और विशेषरूप से युद्ध के दृश्यों में, जिसे हम रिचर्ड एटनबरो की बेहतरीन फ़िल्म 'अ ब्रिज टू फार' से लेकर मेल गिब्सन की 'हैक्सो रिज' जैसी वॉर एपिक फ़िल्म में समान रूप से देख चुके हैं ।"

प्रभास और राणा दग्गुबाती के बीच टकराव के दृश्य पर बात करते हुए सीबीएफसी के अभूतपूर्व सूत्र ने बताया कि, “दिल थामने वाला…ये दोनों ही एक पिंजरे में कैद आतुर शेर की तरह झपट्टा मारने के लिए तैयार हैं लेकिन कुछ है जो एक दूसरे को ऐसा करने से रोक रहा है । और वो क्या है, इसका खुलासा मैं नहीं कर सकता । दोनों कलाकार इसमें प्रभावशाली लगते हैं ।"

और सबसे बड़ा सवाल कि, कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, इसका खुलासा करते हुए सीबीएफ़सी के सूत्र ने कहा कि, इसका जवाब दर्शकों को हैरान कर देगा जिस पर कि विश्वास नहीं हो पाएगा ।”

बाहुबली : द कन्क्लूज़न फ़िल्म भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर एक पहचान दिलाएगी । "इसके स्टंट, दृश्य/नजारा और परफ़ोरमेंस हॉलीवुड फ़िल्म फास्ट एंड फ्यूरियस 8 से कहीं ज्यादा बेहतर हैं । दर्शक इसे देखकर न केवल खुशी-खुशी निकलेंगे बल्कि बहुत दुखी भी होंगे । बाहुबली गाथा का अंत नहीं किया जा सकता !”