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'बकचोद' और 'बास्टर्ड',ये दो ऐसे वर्जित शब्द हैं जिसे सेंसर बोर्ड ने विशाल भारद्दाज की फ़िल्म रंगून में से हटा दिया है और इसके बाद फ़िल्म को 'यूए' प्रमाण पत्र दिया गया । निर्माता साजिद नाडियाडवाला और निर्देशक भारद्वाज, जो पहली बार इस फ़िल्म के साथ, साथ आ रहे हैं, अब राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि सेंसर बोर्ड ने उनकी फ़िल्म रंगू्न को कुछ मौखिक कटौती के साथ ग्रीन सिग्नल दे दिया है । 'बास्टर्ड', शब्द को 'रास्कल' शब्द के साथ रिप्लेस किया गया है और 'बकचोद' शब्द को 'बकचोर' शब्द के साथ रिप्लेस किया गया है फ़िर चाहे जो इसका मतलब हो ।

दिलचस्प बात यह है कि सीबीएफसी द्वारा 'बास्टर्ड' शब्द को अनुमति दे दी गई,यदि इसका शाब्दिक अर्थ में प्रयोग किया जाता । करण मल्होत्रा की ब्रदर्स में, सिद्धार्थ मल्होत्रा को 'बास्टर्ड' शब्द की अनुमती दी गई थी क्योंकि फ़िल्म में वह जैकी श्रॉफ के अवैध पुत्र का किरदार अदा कर रहे थे ।

हालांकि कंगना रानौत को 'चिनाल' नहीं कहा जा सकता (जो हो सकता है ... .त्रुटि ... कुदरती तौर 'फूहड़' के रूप में अनुवाद) हालांकि बेफ़िक्रे में वाणी कपूर के लिए 'स्लट' शब्द का इस्तेमाल करना ठीक था । रंगून में निर्दयतापूर्ण व्यवहार करने वाली औरत के लिए अपमानजनक शब्दों को रिप्लेस करने के लिए कहा गया है ।

'चिनाल' शब्द को 'झूठी' शब्द के साथ रिप्लेस किया गया है ।