वर्तमान भाजपा सरकार को अक्सर रूढ़िवादी माना जाता है । अपने शासनकाल में इस सरकार ने ऐसे कई फ़ैसले लिए हैं जो शुरूआत में किसी के गले नहीं उतरे । हाल ही में इस सराकर फ़िर से एक ऐसा फ़ैसला लिया है जो चर्चा का विषय बन गया है ।

सोमवार के दिन, सरकार ने टीवी चैनलों से कंडोम विज्ञापन को दिखाने और उन्हें प्रमोट करने के लिए सख्ती से मना किया है क्योंकि ये विज्ञापन "अशिष्ट हैं, विशेष रूप से बच्चों के लिए" और उनके बीच गलत प्रभाव डाल सकते है ।

एडवाइजरी में स्मृति ईरानी के नेतृत्व वाले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा, ''सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ चैनल कई बार कंडोम का विज्ञापन चलाते हैं, जो बच्चों के लिए ठीक नहीं है । इस बाबत टीवी चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क रूल, 1994 पर ध्यान देना चाहिए, जिसके नियम 7 (7) के तहत ऐसे विज्ञापन जिनसे बच्चों की सुरक्षा प्रभावित होती हो या उन पर गलत प्रभाव डालते हो, उन्हें ना चलाया जाए. वहीं नियम 7 (8) कहता है कि विज्ञापनों में अनुचित, अश्लील, डरावना या अपमानजनक विषय या वर्णन नहीं होना चाहिए ।'' सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि ''कंडोम के विज्ञापन केवल रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही दिखाए जाएं । ताकी केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में निहित प्रावधानों का सख्त पालन करते हुए ऐसे कंटेट को बच्चों तक पहुंचे जाने से रोका जा सके ।''

एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) के अनुरोध पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस पर कदम उठाने का फ़ैसला किया और कंडोम एड को प्रसारित करने की टाइमिंग पर फ़ैसला किया । सनी लियोन की मैनफोर्स विज्ञापन विवाद में आने के बाद एएससीआई ने इस तरह की याचिका दायर की ।

गौरतलब है कि सरकार की ओर से बच्‍चों को स्‍वस्‍थ माहौल और विकास को देखते हुए यह फैसला लिया गया है ।

जैसा कि अपेक्षित था, ट्विटर यूजर्स के एक वर्ग ने सरकार के इस कदम की आलोचना की । उन्हें लगता है कि कंडोम का उपयोग लोकप्रिय होना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित सेक्स को प्रोत्साहित करता है । विज्ञापन के समय को सीमित करके, इससे जागरुकता में कमी आ जाएगी ।

लेकिन वहीं ट्विटर पर कुछ वर्ग ने सरकार के इस कदम की सराहना की है और उनके फ़ैसले का स्वागत किया है । उन्हें लगता है कि कंडोम विज्ञापन बहुत ही बेतरतीब हैं और प्राइम टाइम या दिन के किसी भी समय के दौरान प्रदर्शित होने के लायक नहीं हैं । कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ज्यादातर देशों, यहां तक कि पश्चिमी देशो में, कंडोम विज्ञापन टेलीविजन पर नहीं दिखाए जाते हैं । इसके बजाए, इससे संबंधित जागरुकता को अन्य तरीकों से फ़ैलाया जाता है ।